सीमेंट फैक्ट्री के विरोध में बाजार बंद का मिलाजुला रहा असर
बाजार बंद करने को लेकर कई दिनों से किया जा रहा था प्रचार
वारिसलीगंज.
बंद पड़ी चीनी मिल की भूमि पर अडाणी कंपनी द्वारा सीमेंट फैक्ट्री निर्माण करने को लेकर संघर्ष समिति के अगुआई में शुक्रवार को बाजार बंद कर विरोध-प्रदर्शन करने का आह्वान का असर मिला-जुला रहा. संघर्ष समिति कार्यकर्ताओं के लाख प्रयास के बावजूद दुकानदार विरोध-प्रदर्शन में हिस्सा नहीं लिये. और ज्यादातर दुकानदार अपनी-अपनी दुकान खोलकर व्यवसाय में जुटे रहे. जो, इस बात का संकेत है कि आमलोग सरकार के द्वारा रोजगार के क्षेत्रों में सृजन करने की पहल का समर्थन कर रही है. संघर्ष समिति का दावा है कि सीमेंट फैक्ट्री कार्यरत होने के उपरांत इनसे निकलने वाली धुलकनें क्षेत्रवासियों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर जीवन को नारकीय बना देगी. क्षेत्र के कई बुद्धिजीवियों का यह भी कहना है कि 31 वर्षों से बंद पड़ी वारिसलीगंज चीनी मिल में आजतक कोई उद्योग संचालित नहीं किया गया. जब सरकार ने इस दिशा में पहल कर रोजगार की व्यवस्थाएं उपलब्ध करवा रही है. तब इसका विरोध नहीं, बल्कि दोनों हाथों से समर्थन करने की जरूरत है. वैसे भी वारिसलीगंज रैक प्वाइंट को छोड़ दी जाय, तो कोई भी व्यवसाय चलायमान नहीं है. जिस कारण क्षेत्र में युवा बेरोजगारों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. मजदूर, युवा और यहां तक की किसान भी दूसरे राज्यों में रोजगार के लिए पलायन करते आ रहे हैं. आगामी 29 जुलाई को सीमेंट फैक्ट्री की आधारशिला रखने आ रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ अडाणी ग्रुप के मालिक का आना तय हो चुका है. इधर, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी राज्य परिषद के आह्वान पर शनिवार को प्रखंड मुख्यालय पर एक दिवसीय धरना दिया. पार्टी के नेता अनुज सिंह के अध्यक्षता में आयोजित धरने में वक्ताओं ने 15 सूत्री मांग रखा. सरकार से इस लागू करने की मांग की है. इन 15 सूत्री मांग में चीनी मिल की जमीन पर सीमेंट फैक्ट्री के जगह कृषि आधारित उद्योग लगाने की मांग की. मौके पर अखिलेश कुमार सिंह, राजेंद्र यादव, देवनाथ माहतो, देवेंद्र कुमार सिन्हा, इंदु देवी सहित अन्य लोग मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है