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पराली जलाने के मामले में 33 किसानों का पंजीयन रद्द

अब तक नवादा जिले में प्रखंडवार कुल 33 किसानों के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की गयी है. सभी चिह्नित किसानों का किसान पंजीयन विभाग द्वारा रद्द करते हुए कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं के लाभ से वंचित कर दिया गया है.

नवादा सदर.

पराली जलाने से किसान बाज नहीं आ रहे हैं. जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया गया कि कृषि विभाग द्वारा पराली जलाने पर रोक लगायी गयी है. इसके बावजूद किसान पराली जला रहे हैं. ऐसे किसानों के विरुद्ध कृषि विभाग द्वारा कठोर कदम उठाये गये हैं. ऐसे किसानों को चिह्नित करने कर उनका पंजीयन रद्द करने एवं उन्हें कृषि विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के लाभ से वंचित करने का काम तेजी शुरू कर दिया गया है. अब तक नवादा जिले में प्रखंडवार कुल 33 किसानों के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की गयी है. सभी चिह्नित किसानों का किसान पंजीयन विभाग द्वारा रद्द करते हुए कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं के लाभ से वंचित कर दिया गया है.

सबसे अधिक नवादा सदर में हुई कार्रवाई

जिला में सबसे अधिक 11 किसानों का पंजीयन नवादा सदर में रद्द किया गया है. प्रखण्डवार किसानों के विरूद्ध की गई कार्रवाई के लिए किसानों को चिन्हित किया गया है. वे इस प्रकार है. हिसुआ-03, काशीचक-03, नरहट-04, नवादा सदर-11, पकरीबरावां-07 एवं वारिसलीगंज-05 कुल-33 किसान योजनाओं के लाभ से वंचित किये गये हैं. नवादा जिला अंतर्गत पराली जलाने वाले कुल 33 किसान कृषि विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के लाभ उठाने से अगले 03 वर्षों तक वंचित रहेंगे, यानि अगले तीन वर्षों तक कृषि विभाग द्वार संचालित किसी भी योजना का लाभ नहीं ले पायेंगे.

डीएम ने जारी किया आदेश

जिला पदाधिकारी ने महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिये हैं. डीएम प्रशांत कुमार सीएच ने कहा कि किसान अपने खेतों में पराली नहीं जलायें. इसके लिए विभाग अपने स्तर से प्रचाार-प्रसार कर पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में बतायें. कृषि में आधुनिक कृषि यंत्रों के उपयोग से होने वाले लाभ को किसानों के बीच पहुचायें, ताकि पराली जलाने की घटना को कम किया जा सके. जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि राज्य कृषि विभाग द्वारा प्राप्त दिशा-निर्देश के आलोक में महत्वपूर्ण घटक फसल अवशेष प्रबन्धन के तहत फसल अवशेष जलाने की घटना को नियंत्रित करने के लिए जिला के में विभिन्न तरह के प्रयास किये जा रहे हैं.

अवशेषों का भूसा बना लें किसान

जिला कृषि पदाधिकारी ने सभी किसान भाइयों से अपील की है कि खेतों में फसल अवशेष को नहीं जलाएं. यदि फसल की कटाई हार्वेस्टर से करते हैं, तो खेत में फसल अवशेष को जलाने के बदले स्ट्रॉ रीपर मशीन का उपयोग कर अवशेष को भूसा बना लें. अपने फसल के अवशेषों को खेतों में जलाने के बदले वर्मी कंपोस्ट बनाने, मिट्टी में मिलाने, पलवार विधि से खेती आदि में व्यवहार कर मिट्टी को बचाएं. संधारणीय कृषि पद्धति में अपना योगदान दें.

दी जा रही जानकारी

-फसल अवशेष को खेतों में जलाने से मिट्टी का तापमान बढ़ता है जिसके कारण मिट्टी में उपलब्ध जैविक कार्बन जो पहले से हीं हमारी मिट्टी में कम है और भी जल कर नष्ट हो जाती है. फलस्वरूप मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है.

– फसल अवशेषों को जलाने से मिट्टी में उपलब्ध सूक्ष्म जीवाणु यथा-केचुंआ आदि मर जाते हैं. इनके मिट्टी में रहने से हीं मिट्टी जीवंत रहती है. अवशेषों को जलाने से हम मिट्टी को मरणासन्न अवस्था की ओर ले जाते हैं.

-फसल अवशेष को जलाने से मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी हो जाती है जिसके कारण उत्पादन घटता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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