भूमि बचाने के लिए सड़क पर प्रर्दशन

नवादा न्यूज. गंगा जलापूर्ति योजना के फेज टू के तहत हो रही भूमि अधिग्रहित

By Prabhat Khabar News Desk | September 13, 2024 10:46 PM

नवादा न्यूज. गंगा जलापूर्ति योजना के फेज टू के तहत हो रही भूमि अधिग्रहित

नवादा कार्यालय.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ड्रीम प्रोजेक्ट गंगाजल आपूर्ति योजना के लिए जिले के दो गांवों को विस्थापित किया जा रहा है. हर घर नल-जल योजना के दूसरे चरण के लिए लगभग 451 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जाना है. जिले के नारदीगंज प्रखंड के मोतनाजेय में गंगाजल को संग्रह कर विभिन्न क्षेत्रों में भेजने की योजना है. इस योजना को पूरा करने के लिए मोतनाजय और मधुवन गांव के सैकड़ों एकड़ भूमि की आवश्यकता होगी. ग्रामीण भूमि छीने जाने की संभावना को लेकर विरोध कर रहे हैं. शुक्रवार को मोतनाजय और मधुवन गांव के सैकड़ों महिला-पुरुषों ने सरकार की योजना का विरोध किया. वे सड़क पर उतर प्रदर्शन किये. ग्रामीण कपिलदेव प्रसाद ने कहा कि सरकार हम लोगों की कृषि योग्य भूमि का अधिग्रहण करना चाहती है. इससे हम ग्रामीणों के सामने भुखमरी की नौबत आ जायेगी. क्योंकि, हमलोगों के पास खेती के अलावे कोई और रोजगार का साधन नहीं है.

प्रदर्शन के दौरान एक महिला बेहोश

प्रदर्शन के दौरान दौलती देवी ने बताया कि हम जान दे देंगे, लेकिन अपनी जमीन नहीं देंगे. क्योंकि, हम लोगों के रोजगार का एक मात्र साधन खेती है. इन्हीं खेतों से गांव वालों का जीविका चलता है. इसी क्रम में अपनी बात रखते-रखते दौलती देवी बेहोश हो गयी. उसे ग्रामीणों ने बड़ी मुश्किल से होश में लाया. ग्रामीणों का आरोप है कि जमीन अधिग्रहण के लिए अधिकारी और पदाधिकारी डरा धमका रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारी और पदाधिकारी आते हैं और हमें डराते हैं. आप लोग अपनी जमीन दे दें, अन्यथा आप खुद जिम्मेदार होंगे. अधिकारी सभी लोग एक ही तरह की भाषा बोल रहे हैं. सरकार हमारी मर्जी के बगैर हमारी जमीन को हड़पने चाह रही है. इसके लिए हम ग्रामीणों ने ठान रखा है कि हम जान दे देंगे, लेकिन हम अपनी जमीन नहीं देंगे. सरकार के जितने भी आला अधिकारी और पदाधिकारी आ जाएं, हम लोग अपनी बातों पर अडिग रहेंगे.

ग्रामीणों ने सरकार विरोधी नारे लगाये

प्रदर्शन में शामिल ग्रामीणों ने सरकार और प्रशासन के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की. लोगों ने कहा कि जान दे देंगे, परंतु जमीन नहीं देंगे. प्रदर्शन में कपिलदेव प्रसाद, संजय कुमार, कृष्णा प्रसाद, राजीव कुमार, दौलती देवी, रानी अनीता देवी सोना देवी, रूपा देवी, इंदल यादव, ज्योति, पवन कुमार, सचिन कुमार, राजा कुमार, चंदन कुमार के साथ मोतनाजय और मधुवन के सैकड़ों लोग मौजूद रहे.

क्या कहते हैं स्थानीय ग्रामीण

हम लोग अपनी खेती यहां पर करते आये हैं और हमारे बाल-बच्चे भी यहां पर काम कर रहे हैं. सरकार हम लोगों के लिए कुछ भी नहीं सोचेगी. आखिर हम लोग कहां जायेंगे.

शंभू चौधरी, स्थानीय ग्रामीण बचपन से लेकर बुढ़ापा यहां बिता दिया, वहां सरकार हमें इस अवस्था में अपनी जमीन से बेघर कर रही है. सरकार का यह कदम बिल्कुल ही गलत है

अलखदेव प्रसाद,

ग्रामीण

यह काफी चिंता का विषय है. हम लोगों की जमीन अधिग्रहण में ले ली जायेगी, तो हम लोगों की खेती-बाड़ी और हमारे परिवार का क्या होगा. हम लोग कहां से आयेंगे. हम ग्रामीणों के बीच भुखमरी की समस्या आ जायेगी.

रामानंद प्रसाद,

ग्रामीण बुजुर्ग

बचपन, जवानी और बुढ़ापा यहां बीता है. बुढ़ापे में सरकार हमें बेदखल कर रही है. सरकार का यह कदम गलत है. बुढ़ापे में घर छोड़कर कहां जायेंगे, कहां नया घर बसायेंगे. हम लोग ऐसे ही अपने खेती-बाड़ी पर आश्रित हैं और यह खेती चली जायेगी, तो हम क्या कमायेंगे, क्या खायेंगे.

सीताराम प्रसाद,

बुजुर्ग ग्रामीण

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