रजौली़ प्रखंड क्षेत्र में भीषण गर्मी बढ़ने के साथ ही कई बीमारियां आम हो गयी है. मौसम में परिवर्तन की वजह से विभिन्न बीमारियों के मरीजों की संख्या में भी वृद्धि हुई है. निजी और सरकारी अस्पतालों में पेट दर्द, डायरिया, बुखार और सांस में तकलीफ के मरीज अधिक संख्या में पहुंच रहे हैं. डॉक्टर मरीजों के स्वास्थ्य की जांच कर उन्हें गर्मी से बचने व खान-पान का विशेष ध्यान रखने की सलाह दे रहे हैं. अनुमंडलीय अस्पताल रजौली में ओपीडी में हर रोज आने वाले मरीजों में करीब 10 प्रतिशत डायरिया एवं बुखार के मरीज इलाज कराने के लिए पहुंच रहे हैं. यहां पर मरीजों के आने का हर दिन का आंकड़ा बढ़ते जा रहा है. डायरिया और बुखार के मरीजों की भरमार निजी अस्पतालों में भी है. बच्चे जवान और बुजुर्ग सब इसके चपेट में आ रहे है. हालांकि राहत की बात है कि चार से सात दिनों के अंदर मरीज ठीक हो जा रहे हैं. मौसम में परिवर्तन की वजह से फिलहाल डायरिया, बुखार और सांस आदि के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. अनुमंडलीय अस्पताल रजौली के चिकित्सक डॉ. सतीश चंद्र सिन्हा ने बताया कि विगत एक हफ्ते में मरीजों की संख्या में करीब 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. खाने में इंफेक्शन और सड़क पर उड़ रहे धूल कण इसके मुख्य कारण है. उन्होंने लोगों को गर्मी से बचने के साथ-साथ साफ सफाई का ध्यान रखने को कहा. भोजन तैयार होने के दो घंटे बाद उसे लेने से मना किया. उन्होंने कहा कि ताजा भोजन, फल और शुद्ध पानी पीना इस मौसम में जरूरी है. यही बचाव का उपाय है.कारण सबसे अधिक लोग लू लगने और फूड प्वाइजनिंग की वजह से बीमार हो रहे. उन्होंने ठंडा जगह रहने, खूब पानी पीने और ताजा भोजन करने की सलाह दी. कई बच्चे डायरिया से पीड़ित होकर आ रहे अस्पताल अनुमंडलीय अस्पताल रजौली के डॉ. परितोष कुमार ने कहा की प्रतिदिन बच्चे और जवान डायरिया से पीड़ित है. जितने बच्चे अस्पताल पहुंच रहे हैं उसमें से अधिकांश डायरिया के मरीज हैं. उल्टी, दस्त और बुखार उनकी मुख्य समस्या है. उन्होंने बताया कि फिलहाल गर्मी चरम पर है. इसकी वजह से डायरिया का प्रकोप बढ़ा है. हाइजीन मेंटेनेंस नहीं करना इसका मुख्य कारण है. उन्होंने चिकित्सीय सलाह देते हुए कहा कि इन्फेक्शन से बचने के लिए लोगों को विशेष ध्यान देने की जरूरत है. बच्चे बीमार ना हो इसके लिए उनके खाने-पीने का खास ख्याल रखना होगा. उन्होंने कहा की गर्मी के दिनों में मक्खी की संख्या बढ़ी है. वे भोजन एवं पानी को दूषित कर देती है. नतीजतन कुछ ही घंटे बाद खाना खराब हो जाता है. इसलिए बच्चों का खाना तैयार करते समय हाथ को बार-बार धोएं. दूध पिलाने एवं खाना देने के लिए जिस बर्तन का उपयोग किया जा रहा हो उसकी साफ-सफाई बेहद जरूरी है. पानी को उबालकर दे.छोटे बच्चे को मां का ही दूध देना बेहतर है.दूध पिलाई का उपयोग करने पर उसकी सफाई बेहद जरूरी है. क्या कहते हैं अधिकारी अनुमंडलीय अस्पताल रजौली प्रभारी उपाधीक्षक डॉ दिलीप कुमार ने कहा कि अन्य बीमारियों से निबटने की पूरी तैयारी की गयी है. हर वार्ड में बेड और दवा उपलब्ध है स्वास्थ्य केंद्रों को खास निर्देश दिये गये हैं. इसलिए घबराने की बात नहीं है. डायरिया के इलाज के लिए पुख्ता इंतजाम है और इसका लाभ मरीजों को मिल भी रहा है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है