बिहारशरीफ : इस्लामपुर प्रखंड के बौरीसराय गांव को मेडिसिनल विलेज के रूप में विकसित किया जायेगा. बौरीसराय के किसान जल्द ही परंपरागत खेती के अलावा औषधीय पौधे की भी खेती करेंगे. पान अनुसंधान केंद्र, इस्लामपुर के वैज्ञानिकों ने जिले के किसानों में औषधीय पौधे की खेती के प्रति रूझान पैदा करने के उद्देश्य से एक योजना तैयार की है. इस योजना के तहत बौरीसराय के कुछ किसानों को औषधीय पौधे की खेती करने की ट्रेनिंग दी गयी है.
ट्रेनिंग प्राप्त करने वाले किसानों को औषधीय पौधे के बीज के साथ ही अन्य तरह की तकनीकी सहायता उपलब्ध कराये जायेंगे. किसानों को औषधीय पौधे की खेती करने के फायदों की जानकारी दी जा रही है. उन्हें बताया गया है कि परंपरागत खेती करने से कहीं अधिक फायदा औषधीय पौधे की खेती करने से होगा. किसान चाहें तो परंपरागत खेती करने के साथ ही औषधीय पौधे की खेती भी कर सकते हैं.
बौरीसराय गांव के 25 किसानों को चयनित कर उन्हें पान अनुसंधान केंद्र, इस्लामपुर में औषधीय पौधे की खेती करने की ट्रेनिंग दी गयी है. इच्छुक किसानों को अश्वगंधा व तुलसी के पौधे की खेती करायी जायेगी. औषधीय पौधे की खेती के लिए गांव के सभी किसानों को प्रेरित करने के उद्देश्य से पहले चरण में एक-दो किसानों को प्रेरित किया जायेगा. बौरीसराय गांव के किसान लक्ष्मी चंद चौरसिया को तैयार किया गया है. पान अनुसंधान केंद्र द्वारा उन्हें अश्वगंधा व तुलसी के पौधे उपलब्ध कराये जायेंगे. खेती के दौरान उन्हें पान अनुसंधान केंद्र, इस्लामपुर द्वारा अन्य जरूरतों के अनुसार तकनीकी सहायता भी उपलब्ध करायी जायेगी.
अन्य गांवों के किसानों को भी औषधीय पौधे की खेती करने के लिए प्रेरित किया जायेगा. बौरीसराय गांव के किसानों की सफलता देख अन्य गांवों के किसान स्वत: इसकी खेती करने को प्रेरित होंगे. किसानों द्वारा उत्पादित औषधीय पौधों की मार्केटिंग की व्यवस्था पान अनुसंधान केंद्र, इस्लामपुर द्वारा ही की जायेगी. आज आयुर्वेदिक युग है, इसमें आयुर्वेदिक उत्पादों की काफी मांग है. आयुर्वेदिक उत्पाद तैयार करने वाली कई कंपनियों से इस संबंध में पान अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा बातचीत की जा रही है. गुजरात की आयुर्वेदिक उत्पाद तैयार करने वाली कंपनी सविता हेल्थ से भी बात की गयी है.
पान अनुसंधान केंद्र, इस्लामपुर के प्रभारी डॉ एसएन दास कहते हैं कि कोरोना महामारी के दौर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले पौधे की मांग काफी अधिक हो रही है. इस बात को ध्यान में रखते हुए पान अनुसंधान केंद्र, इस्लामपुर द्वारा किसानों को परंपरागत खेती के साथ-साथ औषधीय पौधों की खेती करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. बौरीसराय गांव को मेडिसिनल विलेज के रूप में विकसित करने की योजना पर काम किया जा रहा है.
posted by ashish jha