वारिसलीगंज. केंद्र सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट स्वच्छता मिशन अब लोगों के बीच मजाक बनकर रह गया है. इस अभियान को लेकर प्रखंड में स्वच्छता सिर्फ फाइलों में दिखाई दे रही है. स्वच्छता अभियान को लेकर गांवों में जोर-शोर से प्रचार-प्रसार किया गया था. वहीं, ग्राम पंचायत को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए लोगों को जागरूक भी किया गया था. इसके बावजूद जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. आज भी सुबह-शाम लोग खुले में शौच करते हैं. भले ही प्रधानमंत्री द्वारा स्वच्छता अभियान के तहत गांवों में शौचालय का निर्माण बड़े पैमाने पर कराये गये हैं. जब स्वच्छता अभियान का कार्यक्रम चलाया जा रहा था, तब साफ-सफाई के लिए जागरूकता का विशेष ख्याल रखा गया था. खुले में शौच करने वाले लोगों के लिए पंचायत स्तर पर निगरानी की जा रही थी. इस अभियान में लाखों रुपये खर्च भी किये गये थे. इसमें कई तरह की सामग्री विज्ञापन के तौर पर बांटी गयी थी. स्वच्छता अभियान का बड़े-बड़े होल्डिंग व पोस्टर लगाकर प्रचार-प्रसार किया गया था. लोगों को जागरूक करने के लिए अनेक कार्यक्रम चलाये गये थे. बावजूद खासकर प्रखंड क्षेत्र के तमाम मुख्य सड़क किनारे शौच करने से स्थिति बदतर है. जबकि सरकार की ओर से अधिकतर लोगों के घर में शौचालय निर्माण के लिए राशि उपलब्ध करायी गयी थी. लेकिन, स्वच्छ प्रखंड का सपना सिर्फ दिखावा बनकर रह गया है. जबकि जमीनी हकीकत यह है कि आज भी लोग बेपरवाह खुले में शौच कर रहे हैं. गंदगी का आलम यह है कि सड़क से गुजरते वक्त लोग अपना मुंह-नाक बंद कर रास्ते से गुजरते हैं.
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