औरंगाबाद: अभिजीत की गिरफ्तारी से खत्म हुआ नक्सल आतंक का एक दौर, चार थाना क्षेत्रों में चलती थी इसकी सरकार

Naxalite: नक्सली जोनल कमांडर अभिजीत की गिरफ्तारी से उसके कारनामे खुलने लगे हैं. वैसे वह औरंगाबाद जिले में हुई 33 नक्सली घटनाओं में शामिल था. कई बड़ी घटनाओं का अंजाम भी दिया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 18, 2022 7:51 AM

औरंगाबाद. प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी का खूंखार नक्सली व जोनल कमांडर अभिजीत यादव उर्फ बनवारी बिहार और झारखंड के लिए एक आतंक का पर्याय था. झारखंड सरकार ने इसके ऊपर 10 लाख और बिहार सरकार ने 50 हजार इनाम घोषित किए थे. बड़ी बात यह है कि औरंगाबाद जिले के विभिन्न थानों में अभिजीत के खिलाफ कुल 33 मामले दर्ज है. इसके खौफ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मदनपुर, देव, कुटुंबा और नवीनगर के पहाड़ी व जंगली इलाके में इसकी सरकार चलती थी. बिना इसकी मर्जी के परिंदा भी पर नहीं मार सकता था. कहा जाता है कि अभिजीत संदीप यादव का दाहिना हाथ था. वैसे संदीप यादव की मौत के बाद बड़े-बड़े नक्सलियों की कमर टूट गई और वे पुलिस से बचाने में लग गये. प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा-माओवादी के हार्डकोर नक्सली अभिजीत यादव उर्फ बनवारी जी पर इमामगंज पुलिस अनुमंडल अंतर्गत डुमरिया थाने में चार व लुटुआ थाने में तीन मामले दर्ज हैं. लुटुआ में एके-47 बरामद की गयी थी.

पूर्व विधान पार्षद के चाचा की हत्या में था शामिल

नक्सली जोनल कमांडर अभिजीत की गिरफ्तारी से उसके कारनामे खुलने लगे हैं. वैसे वह औरंगाबाद जिले में हुई 33 नक्सली घटनाओं में शामिल था. कई बड़ी घटनाओं का अंजाम भी दिया है. दिसंबर 2018 में औरंगाबाद के पूर्व विधान पार्षद व भाजपा नेता राजन सिंह के गांव सुदी बीघा में नक्सलियों ने हमला कर एमएलसी के चाचा नरेंद्र सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी थी .इस घटना में अभिजीत शामिल था. ज्ञात हो कि शाम ढलते ही सैकड़ों की संख्या में नक्सलियों ने सुदी बीघा और देव शहर के गोदाम को घेरकर तांडव मचाया था .करीब एक दर्जन वाहनों को नक्सलियों ने फूंक दिया था .इस घटना के बाद सूबे की राजनीति में भी हलचल मच गई थी. सरकार के मंत्री से लेकर अधिकारियों का दौरा हुआ था. वैसे देव प्रखंड में अभिजीत के नेतृत्व में नक्सलियों ने एक दर्जन से अधिक घटनाओं का अंजाम दिया था.

सामान्य कार्यकर्ता से पहुंचा जोनल कमांडर तक

नक्सली अभिजीत उर्फ बनवारी को कई नामों से जाना जाता है. मदनपुर और देव प्रखंड के दक्षिणी इलाके के साथ साथ छकरबंधा, लडूइया के इलाके में इसके डर से शाम होने के पहले ही हर व्यक्ति अपने घर में दुबक जाता था. इसे रौशनी पसंद नहीं थी. बताया जाता है कि कई निर्दोष ग्रामीणों को घर में रौशनी करने की वजह से अभिजीत के कोप भाजन का शिकार होना पड़ा. मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2009 में अभिजीत नक्सली संगठन भाकपा माओवादी में शामिल हुआ था.एक छोटे से दस्ते में रहकर उसने प्रशिक्षण लिया और फिर धीरे-धीरे संगठन को धारदार बनाने में लग गया. पोलितब्यूरो के कई सदस्यों से प्रशिक्षण प्राप्त कर दस्ते का हेड बन गया .कहा जाता है कि वह पुलिस पर हमला करने के लिए अलग से प्रशिक्षण लिया था .संगठन में उसकी धाक इस कदर बढ़ गई कि वह हार्डकोर से जोनल कमांडर तक का सफर तय कर लिया. धीरे-धीरे अभिजीत बिहार और झारखंड के लिए आतंक बन गया. इसके ऊपर 160 से ज्यादा नक्सली मामले दर्ज हो गए.

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टंडवा थाना अध्यक्ष सहित आठ पुलिसकर्मियों को आइइडी ब्लास्ट से उड़ाने में अभिजीत था शामिल

वर्ष 2016 में नवीनगर प्रखंड के नबीनगर-टंडवा पथ में नक्सलियों ने आईडी ब्लास्ट कर टंडवा थाना के तत्कालीन थानाध्यक्ष अजय कुमार सहित आठ पुलिसकर्मियों को उड़ा दिया था. यह घटना उस समय हुई थी जब टंडवा थाना के पुलिसकर्मी नबीनगर में आयोजित क्राइम मीटिंग में शामिल होकर वापस टंडवा लौट रहे थे. यह घटना इतनी भयावह थी कि तमाम पुलिसकर्मियों के परखच्चे उड़ गए थे. वैसे इस घटना की टीस आज भी एक दहशत पैदा करती हैं. बड़ी बात यह है कि जोनल कमांडर अभिजीत के इशारे पर ही इस घटना को अंजाम दिया गया था. नक्सली संगठन में रहते हुए जोनल कमांडर अभिजीत ने अकूत संपत्ति हासिल की है. यही कारण है कि वह इडी के रडार पर आ गया. पुलिस सूत्रों से जानकारी मिली की इडी ने झारखंड के पलामू जिले में कार्रवाई करते हुए उसके छह बड़े-बड़े प्लॉट को जब्त कर लिया है.

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