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आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली बनेंगे निजी सुरक्षा गार्ड और चालक, बिहार सरकार का है ये प्लान

बिहार सरकार नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है. इस योजना के तहत पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करनेवाले नक्सलियों को रोजगार मुहैया कराया जायेगा. ऐसे नक्सलियों को सरकार अब निजी सुरक्षा गार्ड और वाहन चालक जैसी नौकरी देने पर विचार कर रही है.

पटना. बिहार सरकार नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है. इस योजना के तहत पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करनेवाले नक्सलियों को रोजगार मुहैया कराया जायेगा. ऐसे नक्सलियों को सरकार अब निजी सुरक्षा गार्ड और वाहन चालक जैसी नौकरी देने पर विचार कर रही है. पिछले दिनों गृह विभाग में इसको लेकर अधिकारियों की एक बैठक हुई है. इस बैठक में जीविका, बिहार कौशल विकास मिशन, श्रम संसाधन समेत अन्य विभागों से समन्वय स्थापित कर आत्मसमर्पण कर चुके नक्सलियों के लिए रोजगार की संभावना तलाशने की बात कही गयी है.

नक्सल समस्या के उन्मूलन में मिलेगी मदद 

बिहार सरकार की इस योजना से नौहट्टा, रोहतास, (बड्डी) शिवसागर, राजपुर, चेनारी थाना क्षेत्र के उन नक्सलियों को राहत मिलेगी, जिन्हें आत्मसमर्पण के बावजूद रोजगार का कोई साधन उपलब्ध नहीं हो पाया है. आत्मसमर्पण कर चुके नक्सलियों को पुनर्वास के साथ-साथ जीविकोपार्जन के साधन मुहैया कराने का निर्णय इस इलाके में नक्सल समस्या के उन्मूलन की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है. नक्सलवाद की ओर युवाओं का रुझान जाने के पीछे का मुख्य कारण बेरोजगारी ही रही है. ऐसे में अगर सरकार अगर उनके रोजगार के लिए कुछ व्यवस्था कर दे तो यह समस्या जड़ से खत्म हो सकती है.

बिहार में 2008 से चल रहा आत्मसमर्पण कराने का अभियान 

बिहार में 2008 से अबतक नक्सल गतिविधियों में संलिप्त ढाई दर्जन उग्रवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं. इनमें संगठन के कमांडर से लेकर कई हार्डकोर नक्सली शामिल रहे हैं. पिछले एक दशक में बिहार के नक्सलग्रस्त गांवों का माहौल भी बदला है. सरेंडर करने वाले नक्सलियों के परिवारों में अब मुख्यधारा से जुड़े रहने की ललक दिखायी दे रही है. वे भी अपने बच्चों को पढ़ा-लिखाकर नेक इंसान व आला अधिकारी बनाना चाहते हैं. आज नक्सलग्रस्त कई गांवों में शिक्षा के प्रति ललक बढ़ी है और नक्सलियों के परिवार के बच्चे स्कूलों में पढ़ रहे हैं.

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