बिहार सरकार के द्वारा आत्मसमर्पण करने वाले खूंखार नक्सलियों को भी मुख्य धारा में लाने का प्रयास किया जा रहा है. केंद्र सरकार के द्वारा सभी प्रभावित राज्यों को नक्सलियों के पुनर्वासन और मुख्यधारा में जोड़ने के लिए अधिसूचना जारी की है. इस अधिसूचना के आधार पर नीतीश सरकार के द्वारा उन्हें आइटीआइ में प्रवेश के लिए जरूरी वांछित योग्यता से छूट भी प्रदान दिया जा रहा है. साथ ही, उनके लिए प्री-आइटीआइ कोर्स की भी व्यवस्था की गयी है. इसका लाभ आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली ले सकते हैं.
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को आगे बढ़ने का मौका देने के लिए राज्य सरकार के द्वारा नौ आइटीआइ और 11 कौशल विकास केंद्र चिह्नित किया गया है. पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने बताया कि आत्मसमर्पण सह पुनर्वासन योजना के तहत उच्चश्रेणी के वामपंथी उग्रवादियों के आत्मसमर्पण करने पर राज्य सरकार के द्वारा पांच लाख रुपये जबकि अन्य श्रेणी के नक्सलियों को ढाई लाख रुपये दिया जा रहा है. इसके साथ ही, उन्हें महीने में जुगर-बसर करने के लिए छह हजार रुपये मासिक भत्ता भी दिये जाने का प्रवधान है. इस योजना के तहत एक अप्रैल 2013 से अभी तक 98 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. इसमें से 42 को योजना का लाभ दिया जा रहा है.
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बिहार में सुरक्षा बलों के द्वारा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लगातार ऑपरेशन चलाया जा रहा है. इसका असर देखने को मिल रहा है. बिहार पुलिस मुख्यालय की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2004 से 2018 तक राज्य में 22 जिले नक्सल प्रभावित थे. जो 2018 से 2021 तक सिमटकर केवल 16 जिलों में रह गया. पिछले एक वर्ष में चले अभियान के कारण बिहार में केवल 10 जिलों में नक्सल हैं. बिहार में 2018 में 40 नक्सल वारदात हुई थी. जो 2022 में घटकर केवल 13 हो गयी. इस साल तक 32 नक्सलियों को गिफ्तार किया गया है. जबकि दो ने आत्मसमर्पण किया है.