NCRB Report: सरकार और पुलिस की तमाम कोशिशों के बाद भी देश में साइबर अपराध के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार, देश की वित्तीय राजधानी मुंबई में बीते साल आर्थिक अपराध के 6,960 मामले रिकॉर्ड किये गये. यह किसी भी महानगर में दर्ज ऐसे मामलों में सर्वाधिक है. इसका सीधा अर्थ है कि अपराधियों ने अब छोटे शहरों के बजाये महानगरों में लोगों को अपना शिकार बनाकर पुलिस को खुला चैलेंज देना शुरू कर दिया है. गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, मुंबई में साइबर अपराध के मामले भी पिछले साल 2022 में बढ़कर 4,724 हो गए, जो 2021 में 2,883 थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल आर्थिक अपराध के 6,015 मामलों के साथ हैदराबाद दूसरे स्थान पर और दिल्ली (5,007) तीसरे स्थान पर थी. इसमें कहा गया है कि मुंबई में दर्ज कुल आर्थिक अपराधों में से 1,093 मामले आपराधिक विश्वास हनन के थे, जबकि जालसाजी और धोखाधड़ी के 5,855 थे. बड़ी बात ये है कि झारखंड के जामताड़ा को साइबर अपराध का गढ़ माना जाता था. मगर, ऐसे सेंटर अब देश के कई शहरों में फैल गए हैं. जहां से अपराध को कंट्रोल और रेगूलेट किया जाता है.
सौ करोड़ से ऊपर की हुई ठगी
पिछले साल आपराधिक विश्वास हनन के कारण महानगरों में संपत्ति के नुकसान के विश्लेषण के अनुसार, कम से कम 18 मामले 10 करोड़ रुपये से 15 करोड़ रुपये के बीच, सात मामले 25 करोड़ रुपये से 50 करोड़ रुपये के बीच, छह मामले 50 करोड़ रुपये से लेकर 100 करोड़ रुपये तक और एक मामला 100 करोड़ रुपये से ऊपर का था. एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, साइबर अपराधों के पंजीकरण के मामले में, 2022 में 8,249 ऐसे मामलों के साथ महाराष्ट्र चौथे स्थान पर था. जबकि इस सूची में तेलंगाना शीर्ष पर था. तेलंगाना में ऑनलाइन अपराधों की श्रेणी के तहत 15,297 प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. कर्नाटक साइबर अपराध के 12,556 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर जबकि उत्तर प्रदेश 10,117 मामलों के साथ तीसरे स्थान पर था.
बिहार बना नया सेंटर
बिहार भले ही गंभीर अपराध के मामले में टॉप टेन से बाहर हो गया हो, मगर यहां लगातार आर्थिक अपराध के मामले बढ़ते जा रहे हैं. इस साल बिहार में आर्थिक अपराधों की संख्या 10,674 रही, जो राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल के बाद सबसे अधिक है. पिछले साल की तुलना में इस बार आर्थिक अपराध के 2710 मामले अधिक दर्ज किए गए. बिहार इस लिस्ट में आर्थिक अपराध के मामले में छठे और साइबर अपराध के मामले में सातवें स्थान पर है. मंगलवार को बिहार की राजधानी में हुए कुछ मामले:
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साइबर बदमाशों ने 21 लोगों के खाते से कर लिया 12.48 लाख की निकासी
साइबर बदमाशों ने एक फिर से 21 लोगों के खाते से 12.48 लाख की निकासी कर ली है. इन सभी लोगों ने साइबर थाने में शिकायत दर्ज करायी है. बिजली अधिकारी बन बदमाशों ने सात लोगों के खाते से 3.27 लाख की निकासी कर ली. बदमाशों ने राजेंद्र नगर निवासी रवींद्र कुमार को कॉल किया और खुद को बिजली कंपनी का एसडीओ बताया. इसके बाद उपभोक्ता संख्या तक बता दिया और विश्वास में लेकर एक एप इंस्टॉल करा दिया. इसके बाद उनके खाते से एक लाख नौ हजार 779 रुपये की निकासी कर ली. राजीव रंजन को भी एनी डेस्क एप इंस्टॉल करवा उनके खाता से 74 हजार 989 रुपये की निकासी कर ली. दीघा निवासी फ्रैंक हेनरी के खाता से 37 हजार की निकासी कर ली. इसके अलावा सिविल कोर्ट के लिपिक यादवेंद्र प्रसाद सिंह के खाते से 78 हजार की निकासी कर ली. जबकि नेऊरा निवासी राकेश कुमार के खाता से 30 हजार रुपये निकाल लिया. बिजली विभाग का अधिकारी बन कर खजांची रोड निवासी अमन के खाते से 45 हजार 668 व कदमकुआं निवासी अंजली कुमारी के खाता से भी 26 हजार 300 रुपये की निकासी कर ली.
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पुलिस केस में बेटे के फंसने का भय दिखाया और कर ली 85 हजार की ठगी
दानापुर के पुलिस काॅलोनी निवासी नरेश कुमार के पुत्र के आसाम में रेप केस में फंसने की जानकारी देकर साइबर बदमाशों ने उनसे 85 हजार रुपये की ठगी कर ली. यहां तक की उन लोगों ने आसाम पुलिस बन कर भी फोन किया. जिसके कारण नरेश कुमार ने पैसे उन लोगों के खाते में डाल दिया. जब बेटे से फोन पर बात हुई तो ठगी की जानकारी मिली.
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सेक्सटॉर्शन का बनाया शिकार
साइबर बदमाशों ने कौटिल्य नगर के रहने वाले एक युवक को सेक्सटॉर्शन का शिकार बनाया और 51 सौ रुपये की ठगी कर ली. उससे और भी पैसे की मांग की जा रही थी. लेकिन उसने नहीं दिया और पुलिस को मामले की जानकारी दे दी. इसी प्रकार, कई अन्य लोगों को झांसे में लेकर साइबर बदमाशों ने खाते से पैसे की निकासी कर ली.
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