Bihar Politics: बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर रविवार को हुआ है. महागठबंधन की सरकार से अलग होकर नीतीश कुमार फिर एकबार भाजपा के साथ आए और सूबे में एनडीए की सरकार बनी. नीतीश कुमार ने 8 मंत्रियों के साथ राजभवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में शपथ लिया. वहीं अब नयी एनडीए सरकार की सेहत को लेकर सबसे पहला कदम विधानसभा के अध्यक्ष पद पर पहला फैसला होगा. शपथ ग्रहण के बाद विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस विधानसभा सचिव को थमाया गया है.
रविवार को बिहार में सत्ता बदली और एनडीए की ओर से नीतीश कुमार ने अपने 9 मंत्रियों के साथ शपथ लिया तो एनडीए ने अपना पहला एक्शन भी दिखा दिया. भाजपा की ओर से नंदकिशोर यादव ने विधानसभा स्पीकर अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस विधानसभा सचिव को दे दिया. जिसमें जिक्र किया गया है कि विधानसभा के वर्तमान अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी पर अब इस सभा का विश्वास नहीं रह गया है. नोटिस पर पूर्व सीएम जीतन राम मांझी, पूर्व डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद, जदयू के विनय कुमार, रत्नेश सदा समेत कई और विधायकों के हस्ताक्षर हैं.
बता दें कि बिहार में बहुमत का आंकड़ा 122 है. जदयू और भाजपा को मिला दें तो दोनों के पास 123 विधायक हैं. वहीं एनडीए के अन्य दलों को मिलाकर अब सत्ता पक्ष के पास 128 तो विपक्षी खेमा महगठबंधन के पास 114 विधायकों का समर्थन है. AIMIM के विधायक अख्तरुल ईमन किसी गठबंधन के साथ नहीं हैं. वहीं जब महागठबंधन की सरकार बिहार में बनी थी तो राजद कोटे से विधानसभा के स्पीकर अवध बिहारी चौधरी बनाए गए थे.
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स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को नोटिस दिया गया है. अब विधानसभा में मतदान कराया जायेगा. बहुमत के आधार पर इसका फैसला होगा और फिर नये अध्यक्ष के लिए सदन के भीतर चुनाव कराये जायेंगे. विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावली का नियम 110 कहता है कि अध्यक्ष को हटाने के लिए सदस्यों को प्रस्ताव लाने के 14 दिन पहले सदन के सचिव को सूचना देनी पड़ेगी. विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने पर अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठा अध्यासी सदस्य उस प्रस्ताव को पढ़ेगा. उसके बाद जिन सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव की सूचना दी है उनको सदन में प्रस्ताव पढ़ने की अनुमति दी जाती है. बता दें कि जिस अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है वह कार्यवाही के दौरान अध्यक्ष की कुर्सी पर नहीं बैठ सकते हैं. यानी उस समय को सभा की अध्यक्षता नहीं करेंगे.
बजट सत्र के पहले दिन विधानसभा में ही दोनों सदनों की संयुक्त विधायक दल की बैठक होती है, जिसे राज्यपाल संबोधित करते हैं. यह सब पहले से तय है. इसलिए उम्मीद की जा रही है कि बजट सत्र के आरंभ होने के पहले नयी सरकार विश्वास का मत हासिल कर लेगी और उसके पहले स्पीकर के पद पर भी फैसला हो जायेगा.
माना जा रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष का पद भाजपा के खाते में दिया जायेगा. इसके पहले भी 2020 में भाजपा के ही विजय कुमार सिन्हा विधानसभा अध्यक्ष बनाये गये थे. लेकिन, 2022 में जदयू ने राजद के साथ सरकार में जाने का फैसला लिया तो पहले तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष के इस्तीफे की प्रतीक्षा की गयी. मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी राजद के पुराने नेता और सीवान जिले से विधानसभा के सदस्य हैं.