One Nation, One Election: ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल लोकसभा में पेश कर दिया गया. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस बिल को पेश किया. विपक्षी पार्टियां इस बिल का विरोध कर रही हैं. इस पर भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि देश में 1967 तक सारे चुनाव एक साथ होते थे. क्या तब वह संघीय ढांचे पर हमला नहीं था. वहीं, इस मुद्दे पर बीजेपी नीत NDA गठबंधन का कुनबा एक दिखा. ऐसे में आइए जानते है किसने क्या कहा?
यह बहुत ही अच्छी सोच: भाजपा सांसद
भाजपा सांसद संजय जायसवाल ने कहा, “संविधान निर्माताओं ने जब यह निर्णय लिया कि हम देश को लोकतांत्रिक बनाएंगे, तो सभी राज्यों और लोकसभा के चुनाव एक साथ हुए. आजादी के बाद जो देश में जो परंपरा 20 वर्षों तक चली, मुझे नहीं लगता उसे लागू करने में कोई कष्ट होना चाहिए. यह बहुत ही अच्छी सोच है.”
यह कोई नया बिल नहीं: गिरिराज सिंह
केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, ” ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल पर पूरे संसद और विपक्ष को एक साथ होना चाहिए. यह कोई नया बिल नहीं आ रहा है. 1967 तक देश में एक साथ चुनाव होते थे. अब कांग्रेस पार्टी ने कसम खा ली है कि पीएम मोदी की हर पहल का वह विरोध करेंगे, तो इस पर क्या कहा जा सकता है. जैसे जीएसटी पीएम मोदी लाए थे, कांग्रेस ने विरोध किया. लेकिन, वह बिल भारत के लिए कितना अच्छा साबित हुआ.”
‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ किस तरह संविधान विरोधी: चिराग पासवान
‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ पर विपक्ष की प्रतिक्रिया पर केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा, “मैं यह जानना चाहता हूं कि यह(एक राष्ट्र एक चुनाव) किस तरह संविधान विरोधी है?…वह (विपक्ष) इतने समय से केवल रट्टा मार रहे हैं कि यह संघीय ढांचे के खिलाफ है. लेकिन यह कैसे संघीय ढांचे के खिलाफ यह तो बताएं. अगर देश में एक साथ चुनाव हो रहे हैं तो कैसे संघीय ढांचे पर प्रभाव हो रहे हैं? क्या आंध्र प्रदेश में एक क्षेत्रीय दल की जीत नहीं हुई? विपक्ष झूठ बोलने में माहिर है. छोटे दल भी इसका समर्थन कर रहे हैं. अफवाह फैलाना गलत है. आज की तारीख में जनता को गुमराह नहीं किया जा सकता है.”
हमारी पार्टी इसका समर्थन करती है: JDU
वन नेशन, वन इलेक्शन पर जेडीयू का भी बयान सामने आया है. पार्टी के एक सांसद ने कहा आजादी के बाद से 1965 तक तो वन नेशन, वन इलेक्शन चला है. 1967 से कौन लोग संविधान को रौंद रहे थे, कौन लोग राष्ट्रपति शासन लगा रहे थे, कैसे सरकार गिराई जाती थी. कैसे अलग-अलग इंस्टीट्यूशन को खत्म करने की कोशिश की गई, ये सब बातें डिबेट में होनी चाहिए. वन नेशन, वन इलेक्शन पर विपक्ष के विरोध को लेकर सांसद ने कहा कि पहले भी तो एक बार चुनाव होता था, जब आजादी मिली तब भी वन नेशन, वन इलेक्शन था. गड़बड़ी तब हुई जब कांग्रेस ने प्रदेशों में राष्ट्रपति शासन लगाना शुरू किया. हर देश में हर छह महीने में कोई न कोई इलेक्शन होता है तो विकास के काम रुक जाते हैं, सब लोग चुनावी मोड में ही रहते हैं. वन नेशन, वन इलेक्शन लागू होने से विकास कार्य नहीं रुकेंगे और हमारी पार्टी पूरी तरह से इसका समर्थन करती है.
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