आनंद तिवारी, पटना. राजधानी पटना में ब्लैक फंगस यानी म्यूकोर माइकोसिस से पीड़ित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. हालत यह है कि शहर के आइजीआइएमएस, एम्स समेत अलग-अलग अस्पतालों में म्यूकोर माइकोसिस के करीब 20 मरीज हर रोज भर्ती हो रहे हैं.
पटना सहित पूरे बिहार में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या बढ़ कर 300 से अधिक हो गयी है. इनमें तकरीबन 40 से अधिक मरीजों का ऑपरेशन भी किया जा चुका है, जबकि सात से अधिक मरीजों की मौत भी हो चुकी है. एम्स का 50 बेड का फंगस वार्ड फुल हो चुका है. वहीं, विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि एक साल में मुश्किल से 350 से 400 मरीज अलग-अलग अस्पतालों में आते थे, लेकिन इतने मरीज बीते एक सप्ताह में शहर के अस्पतालों में आ चुके हैं.
राजधानी पटना में अभी तक म्यूकोर माइकोसिस के सात मरीजों की मौत हो चुकी है. इनमें सबसे अधिक चार आइजीआइएमएस, एक निजी अस्पताल व दो एम्स में हुई है. जबकि बक्सर, छपरा, मुजफ्फरपुर आदि जिलों में भी ब्लैक फंगस के मरीजों की मौत के मामले दर्ज किये जा चुके हैं.
शहर के आइजीआइएमएस, एम्स, एनएमसीएच और पीएमसीएच में ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए अतिरिक्त बेड व इलाज की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है. लेकिन इलाज कर रहे विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि इस बीमारी के उपचार में उपयोग में आने वाली एम्फोटेरिसिन-बी की मांग और आपूर्ति में अंतर इतना अधिक है कि कुछ ठोस कदम उठाने की जरूरत है.
आइजीआइएमएस के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ मनीष मंडल ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से दवाएं व इंजेक्शन की सप्लाइ की जा रही है. लेकिन इसे और अधिक बढ़ाने की जरूरत है, क्योंकि मरीजों की संख्या के अनुपात में दवाओं की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में नहीं हो पा रही है. सबसे अधिक परेशानी ग्रामीण इलाकों में हो रही है, क्योंकि गंभीर हालत में मरीज सीधे आइजीआइएमएस व एम्स में रेफर किये जा रहे हैं.
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पूरे राज्य में 297 मरीज हो गये हैं ब्लैक फंगस के
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मंगलवार को आइजीआइएमएस के ओपीडी में 27 नये मरीज आये
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आइजीआइएमएस में 69 मरीज हैं भर्ती
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इनमें 14 पॉजिटिव व 55 कोरोना निगेटिव मरीज हैं शामिल
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सात मरीजों की जा चुकी है जान
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अब तक 40 से अधिक मरीजों का हो चुका है ऑपरेशन
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एम्स में 62 मरीज हैं भर्ती
ब्लैक फंगस के इलाज और उसके संक्रमण रोकने के लिए लगाये जाने वाले एंफोटेरिसिन- बी लाइपोसोमेल इंजेक्शन की कमी हो गयी है. ब्लैक फंगस के मरीज को एक दिन में इसके चार डोज लगाये जाते हैं.
शुरुआत में सात दिनों तक इंजेक्शन लगना जरूरी है. एक इंजेक्शन की कीमत 5 से 7 हजार रुपये है. लेकिन, यह इंजेक्शन मार्केट में उपलब्ध नहीं है. जबकि विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि जिले में रोजाना 600 से 800 के बीच मरीजों को इंजेक्शन की जरूरत पड़ रही है.
Posted by Ashish Jha