पटना . नीट व अन्य प्रतियोगिता परीक्षाओं में सेटिंग करने वाले कई सॉल्वर गैंग पटना में सक्रिय हैं. पीके एक नया नाम है और इसे बनारस क्राइम ब्रांच की पुलिस खोज रही है. इसके पहले सॉल्वर गैंग को संचालित करने वालों में अतुल वत्स, रितेश सिंह व अंशु सिंह के नाम सामने आ चुके हैं. रितेश सिंह फिलहाल जेल में बंद हैं और अंशु व अतुल वत्स फरार हैं.
पुलिस के समक्ष जो एक नया नाम पीके का सामने आया है. इसने बनारस में रविवार को नीट-यूजी में एक परीक्षार्थी को पास कराने के लिए बीएचयू के डेंटल साइंसेस की सेकेंड इयर की छात्रा जूली कुमारी को सॉल्वर के रूप में परीक्षा में बैठाया था. लेकिन जूली सेंटर पर पकड़ी गयी और फिर उसकी मां बबिता कुमारी व सेटर गिरोह के दो सदस्य खगड़िया निवासी विकास कुमार व गाजीपुर के मोहम्मदाबाद निवासी ओसामा को बनारस क्राइम ब्रांच की पुलिस ने पकड़ लिया.
इनसे पूछताछ में यह सामने आया कि सॉल्वर गैंग का सरगना पटना का पीके है. हालांकि, उसका पूरा नाम वे भी नहीं बता पाये. इधर, बनारस क्राइम ब्रांच ने पटना पुलिस से भी संपर्क साधा है. खास बात यह है कि जूली भी पटना के संदलपुर की वैष्णवी कॉलोनी की रहने वाली है. उसके पिता सब्जी विक्रेता है और घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. लेकिन, जूली ने पढ़ाई की बदौलत बीएचयू में फैकल्टी ऑफ डेंटल साइंस में एडमिशन लिया था और अभी सेकेंड इयर में है. इसने अपने सेमेस्टर में टॉप भी किया था.
सॉल्वर गिरोह वैसे मेधावी छात्र को अपना निशाना बनाता है, जो पढ़ने में तेज होते हैं, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होती है. क्योंकि वैसे छात्र आसानी से पैसे के लिए सॉल्वर बनने के लिए तैयार हो जाते हैं. खास बात यह है कि सॉल्वर गिरोह को मेधावी छात्रा की सबसे अधिक जरूरत होती है. क्योंकि किसी भी छात्रा को परीक्षा में पास कराने में लड़की सॉल्वर की भूमिका अहम होती है. और यह आसानी से नहीं मिलती है. इसके कारण सॉल्वर गिरोह ने छात्रा जूली को पांच लाख रुपये देना स्वीकार कर लिया था और 50 हजार रुपये एडवांस भी दे दिये थे.
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गिरफ्तार दलालों में एक खगड़िया व दूसरा गाजीपुर का
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बीएचयू में डेंटल साइंस में सेकेंड इयर की छात्रा है गिरफ्तार सॉल्वर जूली
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सॉल्वर गैंग ने परीक्षा में बैठने के लिए पांच लाख रुपये में की थी बात
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एडवांस के रूप में दे चुका था 50 हजार रुपये
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गरीब घर के मेधावी छात्रों को सॉल्वर गैंग बनाता है निशाना, लाखों रुपये देने का प्रलोभन देकर बनाते हैं सॉल्वर
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नीट में सारनाथ के एक सेंटर से पकड़ी गयी मां-बेटी और दो दलाल
जानकारी के अनुसार रविवार को सारनाथ स्थित सेंट फ्रांसिस जेवियर स्कूल में नीट का सेंटर बनाया गया था. बबिता बेटी जूली को लेकर सेंटर पर पहुंची थी. परीक्षा के दौरान जूली पर वीक्षकों को शक हुआ और फिर जांच की गयी तो वह फर्जी परीक्षार्थी निकलीं. इसके बाद उसकी मां बबिता को भी बनारस क्राइम ब्रांच ने पकड़ लिया और फिर जूली व बबिता के मोबाइल फोन को खंगाला गया. इससे विकास व ओसामा के नाम सामने आ गये. इसके बाद उन दोनों को भी गिरफ्तार कर लिया गया.
क्राइम ब्रांच ने एडमिट कार्ड की जांच की तो यह पता चला कि जूली का चेहरा परीक्षार्थी से मिलता-जुलता था. इसके साथ ही फोटोशॉप की मदद से फोटो को ऐसा कर दिया गया था कि एकबारगी देखने पर कोई भी नहीं पकड़ सकता था. जूली ने बनारस पुलिस के समक्ष बताया कि परीक्षा में बैठने से पहले परीक्षार्थी के हस्ताक्षर करने के लिए कई बार प्रैक्टिस भी करायी गयी.
जानकारी के अनुसार, बनारस के क्राइम ब्रांच ने पकड़े गये तमाम लोगों से पूछताछ की तो यह जानकारी मिली कि जूली के भाई अभय कुमार कुशवाहा की दोस्ती खगड़िया जिले के बेला सिकड़ी गांव निवासी विकास कुमार से थी. विकास सॉल्वर गैंग से जुड़ा था.
उसे जब अभय से यह जानकारी मिली कि उसकी बहन बीएचयू में पढ़ रही है और काफी मेधावी छात्रा है, तो फिर उसने पांच लाख रुपये का प्रलोभन दिया. इसके बाद विकास ने जूली की मां बबिता से बात की, तो वह तैयार हो गयीं और फिर आर्थिक स्थिति का हवाला देकर जूली को भी परीक्षा में बैठने के लिए मना लिया.
Posted by Ashish Jha