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लापरवाही: पंचायतों ने सरकार को नहीं दिया 34 हजार करोड़ रुपये का हिसाब, सरकार ने कई बार लिख चुका है पत्र

Bihar News यूसी नहीं देने के कारण यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि सरकार से मिले अनुदान के ये रुपये किस-किस मद में कितने खर्च हुए. कहां कितने रुपये खर्च हुए हैं, इसका कोई लेखा-जोखा नहीं है.

पटना. राज्य की पंचायतों को हर वर्ष करोड़ों रुपये अनुदान के तौर पर केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से मिलते हैं, परंतु इन रुपयों के खर्च का कोई लेखा-जोखा ये पंचायतें सरकार को वापस नहीं देती हैं. इस वजह से पंचायतों के पास वर्तमान में 34 हजार करोड़ रुपये के उपयोगिता प्रमाणपत्र (यूसी) अटका हुआ है. यूसी नहीं देने के कारण यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि सरकार से मिले अनुदान के ये रुपये किस-किस मद में कितने खर्च हुए. कहां कितने रुपये खर्च हुए हैं, इसका कोई लेखा-जोखा नहीं है. सीएजी की रिपोर्ट में भी बकाया यूसी को लेकर कई बार आपत्ति जतायी गयी है और इसका निबटारा जल्द करने के लिए सरकार को कराने के लिए कहा है.

सरकार ने कई बार लिखा है पत्र

पंचायती राज विभाग को भी राज्य सरकार ने कई बार यूसी जमा कराने को लेकर पत्र लिखा है, लेकिन अब तक इसमें कोई खास कमी नहीं आयी है, बल्कि हर साल इसमें बढ़ोतरी ही होती जा रही है. हर वर्ष सरकार पंचायतों का अनुदान जितना ज्यादा बढ़ाती जा रही है, लंबित यूसी की संख्या उतनी ज्यादा बढ़ती जा रही है. वर्ष 2002 से 2014 तक दो हजार करोड़ रुपये का यूसी सभी पंचायतों में बकाया था. 2014 से 2021 तक इस बकाया राशि में 32 हजार करोड़ की बढ़ोतरी हो गयी है और यह बढ़ कर 34 हजार करोड़ रुपये हो गयी है.

हर साल बढ़ता गया लंबित यूसी

प्रत्येक साल हजारों करोड़ रुपये की बकाया राशि लंबित यूसी की फेहरिस्त में जुटती जा रही है. 2002 से 2014 तक दो हजार करोड़ रुपये का यूसी बाकी था. 2014-15 में लंबित यूसी में 700 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हो गयी. इसी तरह 2015-16 में 600 करोड़, 2016-17 में 4,500 करोड़, 2017-18 में आठ हजार करोड़ और 2019-20 में नौ हजार करोड़ रुपये यूसी में बढ़ोतरी हुई. इस तरह साल- दर- साल इसमें बढ़ोतरी होती जा रही है.

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Posted by: Radheshyam Kushwaha

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