न ऑक्सीजन लगा, न स्टेरॉयड फिर भी हो गया ब्लैक फंगस, कोरोना के नये वैरियंट पर शक, डॉक्टर भी असमंजस में

ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों के बीच इएनटी विशेषज्ञों के सामने अलग-अलग तरह के तथ्य आ रहे हैं. कुछ ऐसे भी मरीज मिल रहे हैं, जो कोरोना संक्रमित तो थे, मगर न तो ऑक्सीजन लगी और न ही स्टेरॉयड दवाएं खायीं. फिर भी ब्लैक फंगस का संक्रमण हो गया.

By Prabhat Khabar News Desk | May 28, 2021 7:31 AM

आनंद तिवारी, पटना. ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों के बीच इएनटी विशेषज्ञों के सामने अलग-अलग तरह के तथ्य आ रहे हैं. कुछ ऐसे भी मरीज मिल रहे हैं, जो कोरोना संक्रमित तो थे, मगर न तो ऑक्सीजन लगी और न ही स्टेरॉयड दवाएं खायीं. फिर भी ब्लैक फंगस का संक्रमण हो गया.

ऐसे तकरीबन 10 मामले शहर के आइजीआइएमएस, एम्स व एक निजी अस्पताल में देखे गये हैं. इनमें ब्लैक फंगस के सामान्य लक्षण पाये गये हैं. इनमें छह मरीजों को दवा देकर घर भेज दिया गया, जबकि चार मरीजों को भर्ती किया गया है, जिनकी उम्र 40 से अधिक है. इनको कोविड संक्रमण हुआ था.

डॉक्टरों के अनुसार इनको भी जल्द डिस्चार्ज कर दिया जायेगा. आइजीआइएमएस के नाक कान गला रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ राकेश कुमार सिंह ने बताया कि यह मानना कि ब्लैक फंगस उन्हीं को हो रहा है, जो ऑक्सीजन पर रहे हैं या स्टेरॉयड की दवाएं चली हैं, भूल होगी.

कोरोना संक्रमण के साथ ही यह बीमारी हो रही है. यह नया वैरियंट है. हालांकि डॉक्टरों का यह भी कहना है कि कुछ बीमारियां ऐसी भी होती हैं, जिनमें लंबे समय तक मरीजों को स्टेरॉयड दी जाती हैं. मरीज साल दो साल स्टेरॉयड खाते हैं, मगर ब्लैक फंगस नहीं होता है. आइसीयू में एक महीने तक मरीज रह जाते हैं, उनमें भी यह बीमारी नहीं दिखती है.

केस 1

शहर के राजेंद्र नगर के निवासी 39 वर्षीय राहुल कुमार कोरोना संक्रमित हुए थे. घर पर होम आइसोलेशन में ही ठीक हो गये थे. ऑक्सीजन और स्टेरॉयड की जरूरत नहीं पड़ी. आंख के नीचे हल्का कालापन देख उन्हें संदेह हुआ, वह आइजीआइएमएस पहुंचे, तो ब्लैक फंगस की पुष्टि की गयी. हालांकि दवा व इंजेक्शन के बाद वह ठीक हो गये.

केस 2

गोपालगंज जिले की निवासी 45 वर्षीय शांति देवी कोविड संक्रमित थीं. संक्रमण के दौरान उनको ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ी. 10 दिन सामान्य दवाएं खायीं और ठीक हो गयीं. लेकिन ठीक होने के पांच दिन बाद नाक से थोड़ा खून गिरा. बाद में जब परिजनों ने जांच करायी, तो ब्लैक फंगस निकला.

पीएमसीएच में इएनटी विभाग के डॉ शाहीन जफर ने कहा कि ब्लैक फंगस को लेकर घबराने की बात नहीं है, तेजी से मरीज ठीक हो रहे हैं. वहीं स्टेरॉयड इस बीमारी की वजह है यह कहना पूरी तरह से सही नहीं है. कोरोना नाक के अंदर नसों में कैविटी बना रहा है. इस कैविटी में फंगस अटैक कर रहा है. जिस वजह से कोशिकाएं डैमेज हो रही हैं.

आइजीआइएमएस के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ मनीष मंडल ने कहा कि लिवर रोगी बच्चों को लंबे समय तक स्टेरॉयड दवाएं दी जाती हैं. किसी बच्चे में ब्लैक फंगस नहीं मिलता है. इसके पीछे क्या सत्य है, इस पर रिसर्च हो रहा है. वहीं, अब तक के रिसर्च में जिंक के अधिक डोज देने की बात सामने आ रही है. वैसे वायरस के नेचर को लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता है.

Posted by Ashish Jha

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