कंचन, गया. धार्मिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, पर्यटन व सामाजिक समरसता का केंद्र रहा गयाजी स्वतंत्रता संग्राम के दाैरान क्रांतिकारी गतिविधियाें का भी केंद्र रहा है. ब्रह्मयाेनि पर्वत श्रृंखला की गाेद में बसा खजुरिया आश्रम स्थल वह स्थान है, जहां नेताजी सुभाष चंद्र बाेस ने देश के अंदर आजाद हिंद फाैज की स्थापना के बाद पहली बैठक रखी थी और यहीं से क्रांति की शंखनाद की थी.
इस पर्वत की तराई में निर्मल स्वच्छ दूधिया धारा का जलस्रोत है, जहां संवत् 2009 के 10 वैशाख तिथि में नेताजी ने बिहार, बंगाल व आेड़िशा से आये क्रांतिकारियाें के साथ बैठक की थी. गाैरतलब है कि फिलहाल 2077 संवत् चल रहा है.
यह स्थान ऐतिहासिक है. खजुरिया आश्रम के पास एक दूधिया जल की जलधारा है, जिसकी कुएं जैसी आकृति है. इसके ऊपर से जाली लगा है. इसके शिलापट्ट पर आज भी ‘स्वतंत्र भारत निर्माण’ जिसके नीचे जय हिंद व ता :10 वैशाख संवत 2009 ’ अंकित है.
बताते हैं यही वह स्थान है, जहां नेताजी ने आजाद हिंद फाैज (इंडियन नेशनल आर्मी) की भारत में गठन के बाद पहली बैठक रखी थी. यह स्थान आज भी पहाड़ियाें की गाेद में जंगल-झाड़ से ढंका है. इससे प्रतीत हाेता है कि तब यह स्थान आैर भी निर्जन व जंगलाें से घिरा रहा हाेगा. यह तब की बात है जब बिहार राज्य अपना अस्तित्व ले चुका था.
आजाद हिंद फाैज की गया इकाई का पहला संयाेजक मंगलागाैरी के रहनेवाले नथून चाैधरी काे बनाया गया था. इनके नेतृत्व में एक बड़ा क्रांतिकारी संगठन तैयार हुआ. यहीं पर इन्हें सैन्य प्रशिक्षण दिया जाता था.
इस टीम में पिता महेश्वर के रहनेवाले कालापानी की सजा भुगते श्याम बर्थवाल व माड़नपुर के रहनेवाले राधे माेहन प्रसाद जुड़े. बाद में राधे माेहन प्रसाद गया नगरपालिका के पहले चेयरमैन भी हुए, जबकि श्याम बर्थवाल गया शहर के विधायक भी चुने गये.
पुराना गया जिला (जिसमें वर्तमान आैरंगाबाद, नवादा, अरवल व जहानाबाद शामिल था) में हुई बैठक के बाद नेताजी ने आैरंगाबाद के एसएन सिन्हा कॉलेज के समीप के गांव ‘ग्राम सुधार’ व ‘जम्हाेर डाक बंगला’ में भी बैठक की. जय प्रकाश नारायण जब हजारीबाग जेल की दीवार फांद कर भागे, ताे गया के रास्ते नेपाल पहुंचे.
नेपाल के हनुमान नगर में फिर पकड़े गये आैर कैद कर लिये गये. यह जानकारी गया की आजाद हिंद फाैज की टीम काे लगी. यह फाैज नेपाल रवाना हुई आैर बंदी बनाये गये जय प्रकाश नारायण, राम मनाेहर लाेहिया, गंगा प्रसाद जैसे नेताआें काे जेल पर हमला कर मुक्त कराया था.
दाउदनगर (औरंगाबाद). आज से 82 वर्ष पहले नौ-दस फरवरी 1939 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस का आगमन औरंगाबाद जिले के दाउदनगर प्रखंड के चौरम आश्रम में हुआ था. कहा जाता है कि चौरम आश्रम से नेताजी ने पंडित जवाहर लाल नेहरू को पत्र लिखा था, जो कोलकाता के विक्टोरिया संग्रहालय में आज भी सुरक्षित है.
चौरम में किसानों, मजदूरों और स्वतंत्रता सेनानियों का एक सम्मेलन आयोजित हुआ था और इसी कार्यक्रम में नेताजी का आगमन हुआ था. किसान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती ने इस सम्मेलन की अध्यक्षता की थी. चार दिनों तक चले इस सम्मेलन में मगध व शाहबाद के अलावा अन्य प्रांतों के क्रांतिकारियों ने भी भाग लिया था.
Posted by Ashish Jha