बिहार में नयी किताब-कॉपियों के दाम में 20 से 25 प्रतिशत की वृद्धि, अभिभावकों का बजट हुआ डावांडोल
Bihar News: बिहार में नये शैक्षिक सत्र की शुरुआत हो चुकी है. किताब और कॉपियों के दामों में 20 से 25 प्रतिशत की वृद्धि होने के कारण अभिभावकों का बजट बिगड़ गया है. पेंसिल-रबर-कटर-औजार बॉक्स आदि की कीमतों में भारी उछाल देखी जा रही है.
बिहार में नये शैक्षिक सत्र की शुरुआत हो चुकी है. इस सत्र में अभिभावकों को किताब और कॉपी खरीदने के लिए जेब अधिक ढीली करनी पड़ रही है. किताबों पर 10 से 15 प्रतिशत और कॉपियों का मूल्य 25 प्रतिशत तक बढ़ गया है. अभिभावकों का कहना है कि कोरोना के कारण पहले से ही बजट डावांडोल है, इसके बाद नए सत्र में बच्चों का री एडमिशन, फिर बढ़े दाम पर कॉपी किताब खरीदने की मजबूरी बन गयी है. पेंसिल-रबर-कटर-औजार बॉक्स आदि की कीमत में आग लग गयी है. पांच से 10 रुपए के सामान में तीन से पांच रुपये तक की वृद्धि हुई है. स्केच पेन, कलर बॉक्स जो पिछले वर्ष तक 60 से 80 रुपए में मिला करता था, अब 75 से 110 रुपया पर पहुंच गया है. निजी प्रकाशकों ने पुस्तक के दाम 15 से 20 प्रतिशत बढ़ा दिये हैं.
बस्ता 500 से हजार रुपये हुआ महंगा
कीमत बढ़ने का असर बस्ते पर पड़ा है. निजी स्कूलों के प्री-प्राइमरी वर्ग का बस्ता 300 से 400 रुपए महंगा हुआ है. पहली कक्षा का बस्ता पिछले वर्ष 1900 से 2000 में मिलता था. इस बार 2400 रुपए चुकाने पड़ रहे हैं. पिछले साल पहली से कक्षा तीन तक के किताबों की कीमत करीब ढाई से तीन हजारों रुपये थी, इस बार तीन से साढ़े तीन हजार रुपए आ रहा है. चौथी एवं पांचवी की पुस्तकें 3500 से 4000 रुपए तक मिल रही है. इसमें 15 फीसद तक वृद्धि की गई है.
क्या कहते हैं दुकानदार
एक दुकानदार ने बताया कि कागज का रेट 30 रुपए किलो तक बढ़ गया है. पहले एक ब्रांडेड कॉपी की कीमत 42 रुपए थी, जो अब 52 रुपये पर पहुंच गयी है. अनब्रांडेड कॉपी की कीमत पहले जितनी ही है, पर इसके पेज आधे तक घटा दिए गए हैं. 20 से 25 रुपए में मिलने वाली जनरल कॉपी 25 से 35 रुपया में मिल रही है. ए फोर साइज के पेपर की पेटी पहले 1810 में मिल रही थी, अब 1950 रुपए में बेची जा रही है. खुदरा व्यापारी शांति कांत यादव का कहना है कि एक महीने के अंदर कॉपी-कलम के दामों में 15 प्रतिशत तक की वृद्धि हो गई है. किताबों के दामों में 10 से 15 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो गई है.