गोपालगंज . आप गन्ना किसान हैं तो जरा सावधान हो जायें. अगर खेत में रिजेक्टेड वेराइटी की गन्ना लगा रहे है तो आपकी मुश्किलें बढ़ना तय है. बाढ़ की त्रासदी के कारण 50 फीसदी तक गन्ना की फसल बर्बाद हो चुकी है.
चीनी मिल चलने के साथ ही नो केन का सामना भी करने लगे हैं. ऐसे में चीनी मिलों ने रिजेक्टेड वेराइटी की गन्ना अगले सत्र से खरीदने पर रोक लगा दिया है. रिजेक्टेड वेराइटी के गन्ना से चीनी मिलों को घाटा का सामना करना पड़ रहा है.
चीनी मिलों के द्वारा तो पिछले वर्ष खरीदे गये गन्ने का भुगतान भी किसानों को सबसे अंत में दिया. रिजेक्टेड वेराइटी के गन्ना किसानों को फजीहत का सामना करना पड़ रहा है. इस पर रोक लगाने के लिए मिलों की तरफ से पिछले तीन वर्षों से कोशिश की जाती रही हैं.
इसके बाद भी किसान रिजेक्टेड वेराइटी के ही लाने में पीछे नहीं हट रहे. इसके कारण चीनी मिलों ने अब साफ कह दिया है कि अगले सत्र से किसी भी स्थिति में रिजेक्टेड वेराइटी का गन्ना नहीं लेंगे.
रिजेक्टेड वेराइटी में 91269, 147, बीओ 1010, टीओपी 2061, सीओ 0233 को शामिल किया गया हैं, जबकि जेनरल वेराइटी में सीओ 233 तथा 2061 को शामिल किया गया है. हालांकि अब कम ही किसानों के पास इन प्रजाति के गन्ना है.
एक एकड़ खेत में रिजेक्टेड वेराइटी का गन्ना अगर किसान लगाते है तो उसमें 150 से 200 क्विंटल ही गन्ना का उत्पादन हो पाता है, जबकि उत्तम प्रभेद की गन्ना लगाने से एक एकड़ में 450 से 500 क्विंटल तक की ऊपज अनुमानित है.
इतना ही नहीं रिजेक्टेड वेराइटी के गन्ने का मूल्य प्रति क्विंटल 265 रुपये है, जबकि उत्तर प्रभेद की गन्ना का मूल्य 310 रुपये प्रति क्विंटल है. यानी एक क्विंटल पर 55 रुपये का घाटा किसान उठा रहे हैं. बोआई में लागत बराबर है.
चीनी मिल के तकनीकी जानकार बताते है कि रिजेक्टेड वेराइटी के एक क्विंटल गन्ना की पेराई करने पर चीनी मिल को आठ से नौ फीसदी रिकवरी होता है, जबकि उत्तम प्रभेद की गन्ना की पेराई से 11 से 12 फीसदी की रिकवरी होती है. इसके कारण रिजेक्टेड वेराइटी की गन्ना पेराई कर फैक्टरी को प्रति क्विंटल तीन से चार फीसदी रिकवरी की क्षति हो रही.
चीनी मिलों ने आने रिजर्व एरिया के किसानों के लिए उत्तम प्रभेद की बीज उपलब्ध करा रही है. विष्णु शूगर मिल के महाप्रबंधक पीआरएस पाणिकर की मानें तो किसान अपनी आवश्यकता के अनुरूप फैक्टरी के गन्ना विभाग से संपर्क कर उत्तम प्रभेद का बीज ले सकते हैं.
दादनी पर बीज, जैविक खाद तथा यंत्र उपलब्ध कराया जा रहा. किसानों को तकनीकी जानकारी भी दी जा रही है. किसानों से अपील की गयी है कि वे रिजेक्टेड वेराइटी की गन्ने की बोआई न करें.
Posted by Ashish Jha