बिहार में आठ साल बाद मिला डेंगू का नया स्ट्रेन-4, जानें इसके लक्षण, जारी हुआ हेल्पलाइन नंबर
डेंगू के दरें स्ट्रेन 4 में मरीज को बुखार व दर्द रहता था, लेकिन इसके साथ-साथ मरीज को खांसी, डायरिया व टाइफाइड की समस्या आती है. उन्होंने कहा कि इस वेरिएंट में प्लेटलेट्स ज्यादा कम नहीं होते हैं, लेकिन कमजोरी अधिक होती है.
पटना सहित पूरे बिहार में डेंगू का प्रकोप धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है. वहीं पटना जिले में डेंगू ने अपना स्वरूप बदल लिया है. आइजीआइएमएस में करीब आठ साल बाद डेंगू का नया डेन स्ट्रेन-4 मिला है. संबंधित मरीज ओपीडी में इलाज कराने आया था. माइक्रोबायोलॉजी विभाग में पुष्टि होने के बाद संस्थान प्रशासन ने स्वास्थ्य विभाग को यह सूचना भेज दी है. हालांकि मरीज कौन है और किस जिले का है, इसके बारे में संस्थान प्रशासन की ओर से पता लगाया जा रहा है. मरीज की जानकारी मिलने के बाद डॉक्टर उसकी ट्रैवल हिस्ट्री के बारे में जानकारी लेंगे. वहीं, संस्थान के उपनिदेशक डॉ मनीष मंडल ने बताया कि डेन स्ट्रेन 4 संस्थान में लंबे समय के बाद मिला है. मेडिसिन विभाग व माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डॉक्टर मरीज की जानकारी लेने में जुटे हैं.
दर्द के साथ डायरिया व टाइफाइड के मिल रहे लक्षण
पैथोलॉजिस्ट व फिजिशियन डॉ प्रभात रंजन ने बताया कि डेंगू का वायरस मूल रूप से 4 तरह का होता है. डेन1, डेन2, डेन3 और डेन4 सेरोटाइप. डेन1 और डेन3 सेरोटाइप का डेंगू डेन2 सेरोटाइप और डेन4 सेरोटाइप के मुकाबले कम खतरनाक होता है. सबसे खतरनाक डेन 2 होता है. इसके बाद खतरनाक की श्रेणी में डेन 4 आता है. डेन 4 में मरीज को बुखार व दर्द रहता था, लेकिन इसके साथ-साथ मरीज को खांसी, डायरिया व टाइफाइड की समस्या आती है. उन्होंने कहा कि इस वेरिएंट में प्लेटलेट्स ज्यादा कम नहीं होते हैं, लेकिन कमजोरी अधिक होती है. ऐसे में अगर सर्दी-खांसी के साथ बुखार आ रह है, तो तुरंत डेंगू की जांच करा लेनी चाहिए.
राज्य में डेंगू के 213 नये मरीज, 196 हुए भर्ती, पटना में 53
इधर राज्य में शुक्रवार को डेंगू के 250 नये केस पाये गये थे. इसके साथ ही राज्य में इस वर्ष डेंगू मरीजों की संख्या बढ़कर 1795 हो गयी है. इनमें सिर्फ सितंबर महीने में ही 1520 मरीज शामिल हैं. एम्स पटना में 20, आइजीआइएमएस में पांच, पीएमसीएच में 14, एनएमसीएच में 10, एसकेएमसीएच, मुजफ्फरपुर में सात, डीएमसीएच,दरभंगा में छह, जेएलएनएमसीएच,भागलपुर में 93, एएनएमसीएच,गया में 14, जीएमसी,बेतिया में तीन, जीएमसी, पूर्णिया में पांच, जेएनकेटीएमसीएच, मधेपुरा में दो और बिम्स, पावापुरी में 18 मरीज भर्ती हैं.
हेल्पलाइन नंबर जारी
डेंगू के बढ़ते मामले को देखते हुए मरीजों की सहायता के डेंगू नियंत्रण कक्ष बनाया गया है. यह मरीजों की सहायता के लिए 24 घंटे उपलब्ध है. लोग डेंगू से जुड़ी जानकारी के लिए 0612-2951964 पर कॉल कर संपर्क कर सकते हैं. यहां अस्पतालों से लेकर प्लेटलेट्स तक की जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी.
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जांच के लिए मरीजों से वसूली जा रही मनमानी रकम
डेंगू संक्रमितों की बढ़ती संख्या का फायदा उठाते हुए शहर के प्राइवेट पैथोलॉजी लैब में डेंगू जांच के लिए मरीजों से मनमाने रकम की वसूली की जा रही है. जांच के लिए 700 से लेकर 1250 रुपये तक की राशि ली जा रही है. जल्द रिपोर्ट पाने के लिए लोग महंगी जांच कराने को मजबूर हैं. प्रभात खबर की टीम शहर के 10 अलग-अलग इलाकों में संचालित निजी पैथाेलॉजिकल लैब व अस्पतालों में डेंगू मरीज बनकर गयी, तो पता चला कि कहीं भी जांच की दर एक समान नहीं है.
जांच की रकम अब तक नहीं की गयी फिक्स
बीते जुलाई महीने से डेंगू का असर शहर में दिखाई देना शुरू हो गया था. हल्का बुखार, सर्दी-खांसी होने पर एहतियात के तौर पर डॉक्टर डेंगू जांच कराने को अनिवार्य बता कर जांच करा रहे हैं. लेकिन स्वास्थ्य विभाग की ओर से निजी पैथोलॉजिकल व अस्पतालों में जांच की दर का कोई तय पैमाना तय नहीं किया गया है. यही वजह है कि निजी सेंटर वाले मरीज के परिजनों से मनमाना रेट वसूल रहे हैं. हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने प्लेटलेट्स का रेट फिक्स कर दिया है.
किट से जांच कर छह गुना तक वसूली
डेंगू की पॉजिटिव या निगेटिव की रिपोर्ट बताने के लिए रैपिड किट का उपयोग किया जाता है. इसकी कीमत 210 रुपया है. इस किट से महज 20 मिनट में ही जांच कर ली जाती है. इससे जांच के लिए निजी सेंटर इससे पांच से छह गुना अधिक राशि वसूल रहे हैं. खास बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग रैपिड के बदले एलाइजा टेस्ट को ही मान्यता देता है. विभाग रैपिड को सिर्फ स्क्रीनिंग टेस्ट तक ही मान्यता देता है, पुष्टि के लिए एलाइजा टेस्ट कराया जाता है. वहीं पटना जिले में करीब 400 प्राइवेट लैब सेंटर संचालित हो रहे हैं. इनमें 70 प्रतिशत सेंटर रैपिड किट से जांच करते हैं. हालांकि सरकारी के साथ-साथ शहर के कुछ ऐसे भी निजी सेंटर और अस्पताल हैं, जो एलाइजा टेस्ट करते हैं. वहीं जानकारों की मानें, तो रैपिड जांच निजी संचालकों के लिए फायदे का सौदा है.
इन सरकारी अस्पतालों में हो रही डेंगू की नि:शुल्क जांच
सरकारी अस्पतालों में यह नि:शुल्क है. आइजीआइएमएस, पीएमसीएच, एनएमसीएच, न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल, आरएमआरआइ, पटना एम्स में नि:शुल्क जांच की सुविधा उपलब्ध है. वहीं अब तक पटना जिले में 510 से अधिक डेंगू के मरीज मिल चुके हैं, जबकि 70 से अधिक मरीज पीएमसीएच, आइजीआइएमएस, एनएमसीएच में भर्ती हो चुके हैं.
शिकायत आने के बाद होगी कार्रवाई
सरकारी अस्पतालों में डेंगू की जांच नि:शुल्क हो रही है. वहीं निजी व सरकारी सेंटरों पर प्लेटलेट्स का रेट भी तय कर दिया गया है. वहीं अगर डेंगू जांच के नाम पर मनमानी की जा रही है, तो यह गलत है. शिकायत आने के बाद कार्रवाई भी की जायेगी. निजी लैब व अस्पतालों में डेंगू जांच के फिक्स रेट की लिखित सूचना आते ही जांच की दर तय कर दी जायेगी. -डॉ श्रवण कुमार, सिविल सर्जन