अनुज शर्मा/पटना. बिहार में दाखिल-खारिज में आड-इवन का प्रयोग होगा. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग इसके लिए नयी व्यवस्था लागू कर रहा है. विषम (ऑड) संख्या वाले हलका (राजस्व कर्मचारी का कार्य क्षेत्र) के मामले अंचलाधिकारी और सम (इवन) संख्या वाले हलका के आवेदनों का निबटारा राजस्व पदाधिकारी करेंगे. इसे प्रभावी बनाने के लिए सॉफ्टवेयर का निर्माण किया जा रहा है. एनआइसी ने इसकी टैस्टिंग भी शुरू कर दी है. कई नये फीचर जोड़े गये हैं. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग से पत्र मिलते ही मई के अंतिम सप्ताह तक सॉफ्टवेयर को विभाग के सुपुर्द कर दिया जायेगा. यह व्यवस्था उन अंचलों में लागू होगी, जहां पर अंचलाधिकारी और राजस्व पदाधिकारी दोनों की नियुक्ति है.
जिन अंचलों में राजस्व पदाधिकारी नहीं होंगे, वहां सीओ अथवा प्रभारी सीओ पूर्व की तरह व्यवस्था में बने रहेंगे. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने दाखिल-खारिज सहित अन्य मामलों के निस्तारण में तेजी लाने के लिए राजस्व पदाधिकारियों को दी गयी की शक्तियों को प्रभावी कर दिया है. दाखिल-खारिज सहित राजस्व संबंधी मामलों के लंबित होने की संख्या बहुत बढ़ जाने पर मुख्यमंत्री ने चिंता जतायी थी. इसके समाधान के तहत राजस्व पदाधिकारी का पद सृजित कर उनकी नियुक्ति की गयी.
एक अप्रैल से राजस्व पदाधिकारियों को म्यूटेशन का अधिकार देने का आदेश कर दिया गया था, लेकिन आधिकारिक रूप से काम के बंटवारे का प्रभावी आदेश अब जारी हुआ है. सॉफ्टवेयर के क्रियाशील होने पर व्यवस्था प्रभावी अपर सचिव सह निदेशक भूमि अर्जन सुशील कुमार का कहना है कि वर्तमान में ऑनलाइन दाखिल-खारिज सीओ और राजस्व अधिकारी द्वारा किये जाने का सॉफ्टवेयर निर्माणाधीन है. इसके काम करने के बाद सीओ-राजस्व पदाधिकारी दोनों द्वारा दाखिल- खारिज किया जायेगा. तब तक सीओ ही दाखिल- खारिज याचिका का निष्पादन करेंगे.
दाखिल-खारिज के लिए सभी आवेदन- याचिकाएं पूर्व की तरह सीओ के यहां दायर किये जायेंगे. विषम संख्या (ऑड नंबर) वाले हलका के लिए भूमि दाखिल-खारिज के लिए सक्षम प्राधिकार सीओ होंगे. आम खास सूचना-सुनवाई, दाखिल-खारिज आदेश, शुद्धि पत्र आदि सभी कार्रवाई सीओ ही करेंगे. वहीं सम संख्या (इवन नंबर) वाले हलका में संबंधित सक्षम प्राधिकार राजस्व अधिकारी होंगे. राजस्व पदाधिकारी के स्तर से की मामलों का निष्पादन होगा.
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राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में हल्का सबसे छोटी प्रशासनिक इकाई (क्षेत्र) है. एक या एक से अधिक गांवों को मिलाकर एक हलका बनाया गया था. जिस गांव के नाम पर हलका बना, वहां हलका कार्यालय खुला और उसका प्रभारी राजस्व कर्मचारी को बनाया गया. सरकार ने एक दशक पहले हलका का डिवीजन कर ‘एक पंचायत एक हल्का’ के गठन की घोषणा, पर कुछ जिलों में ही यह व्यवस्था प्रभावी है. नये परिसीमन से पंचायतों की संख्या बढ़ती गयी, पर हलका का डिवीजन नहीं हो सका. अभी 8,387 पंचायतें हैं, पर हलकाकरीब पांच हजार हैं और अंचलवार नंबरों में बंटे हुए हैं.