15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

22 मार्च को नववर्ष व विक्रम संवत 2080 का होगा आरंभ, नये साल में कुल छह ग्रहण, तीन सूर्य तो तीन चंद्र ग्रहण

नये संवतसर में ग्रहों की स्थिति में बदलाव व खाद्य पदार्थो पर उनकी दृष्टि रहेगी. चंद्रमा खरीफ फसल, शनि रबी फसल, गुरु जातक के कल्याणार्थ, ऋतु फल, सिंचाई, वित्तीय स्थिति के सूत्रधार सूर्य, रसीले पदार्थ स्वयं बुध देखेंगे.

विक्रम संवत 2080 के साथ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 22 मार्च को उत्तर भाद्रपद नक्षत्र व शुक्ल योग में नववर्ष का आरंभ हो रहा है. नव संवत्सर में अधिकमास होने से श्रावण मास दो महीने का होगा. इसीलिए इस नववर्ष में कुल 13 मास होंगे. नल नामक नवसंवत्सर के राजा बुध व मंत्री शुक्र होंगे. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दोनों ग्रह आपस में मैत्री भाव रखते हैं. राजा और मंत्री के एकमत होने से उस देश व प्रजा दोनों की उन्नति के आसार बढ़ जाते हैं. इसीलिए इस नववर्ष को बेहद शुभ मान रहे हैं. नये संवतसर में ग्रहों की स्थिति में बदलाव व खाद्य पदार्थो पर उनकी दृष्टि रहेगी. चंद्रमा खरीफ फसल, शनि रबी फसल, गुरु जातक के कल्याणार्थ, ऋतु फल, सिंचाई, वित्तीय स्थिति के सूत्रधार सूर्य, रसीले पदार्थ स्वयं बुध देखेंगे.

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को सृष्टि की रचना

आचार्य राकेश झा ने ब्रह्म पुराण के आधार पर बताया कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी. इसी कारण इस दिन की महत्ता और बढ़ जाती है. हिंदू धर्मावलंबी इस दिन अपने घरों में पुजा-पाठ कर मुख्य दरवाजे पर तोरण द्वार, स्वास्तिक का शुभ चिह्न, मंगल ध्वज लगते हैं.

चार राशियों के लिए बेहद शुभ

ज्योतिषी झा ने बताया कि नववर्ष में कई ग्रह स्वराशि में होंगे. नव संवत्सर में 30 वर्ष बाद शनि स्वराशि कुंभ राशि में विद्यमान रहेंगे. वहीं, राहु व शुक्र मेष, केतु तुला राशि में, मंगल मिथुन राशि में तथा सूर्य, बुध व गुरु मीन राशि में होंगे. पूरे 12 वर्ष के बाद इस नव संवत्सर में गुरु मीन राशि में रहेंगे. ग्रहों का यह योग चार राशियों के लिए शुभ फलदायी रहेगा. इन राशियों में मिथुन, सिंह, तुला व धनु शामिल हैं.

Also Read: चैत अमावस्या पर पिंड दान का विशेष महत्व, गयाजी में आज 5000 से अधिक पिंडदानी पितरों को करेंगे पिंड अर्पण
नव वर्ष में होंगे कुल छह ग्रहण

राकेश झा ने पंचांगों के हवाले से कहा कि नये साल में कुल छह ग्रहण होंगे, जिनमें तीन सूर्यग्रहण और तीन चंद्रग्रहण होंगे. इनमें केवल एक आश्विन शुक्ल पूर्णिमा को पड़ने वाला खंडग्रास चंद्रग्रहण ही भारत में देखा जायेगा और इसका सूतक मान्य होगा. इसके अलावा और कोई भी ग्रहण न तो दिखायी देगा और न ही इसका सूतक लगेगा. भारत वर्ष में दिखने वाला एक मात्र खंडग्रास चंद्रग्रहण शरद पूर्णिमा के दिन अश्विनी नक्षत्र व मेष राशि में लगेगा. इसीलिए इस नक्षत्र या इस राशि के जातक इस ग्रहण को नहीं देखेंगे. चंद्र ग्रहण का सूतक नौ घंटे पहले ही लग जाता है.

पहला खग्रास सूर्यग्रहण

वैशाख कृष्ण अमावस्या 20 अप्रैल 2023 गुरुवार को नये साल का पहला खग्रास सूर्यग्रहण लगेगा.यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा तथा इसका धर्मशास्त्रीय प्रभाव भी नहीं पड़ेगा.

पहला छाया चंद्रग्रहण

वैशाख शुक्ल पूर्णिमा 5 मई 2023 शुक्रवार को प्रथम छाया चंद्रग्रहण लग रहा है. ज्योतिष शास्त्र में ऐसे चंद्रग्रहण को भूभाभा की संज्ञा दी गयी है. इस चंद्रग्रहण को भी भारतवर्ष में न तो देखा जाएगा और न ही इसका कोई असर होगा .

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें