Nigrani Raid Bhagalpur: आय से अधिक संपत्ति अर्जन के मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए निगरानी ब्यूरो ने बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के सीनियर प्रोजेक्ट इंजीनियर श्रीकांत शर्मा के भागलपुर स्थित घर में बुधवार को जब छापेमारी की तो करीब 98 लाख रुपये कैश के साथ 67 लाख रुपये के सोने-चांदी के जेवरात बरामद किये थे. दिन के 11 बजे से लेकर देर शाम तक जारी तलाशी के दौरान निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने इंजीनियर के ठिकानों से 18 बैंक पासबुक, 10 पॉलिसी में निवेश के दस्तावेज के साथ ही 20 भू-खंडों के दस्तावेज बरामद किये.
छापेमारी के बाद अगले दिन यानी गुरुवार को मोहल्ले के लोगों को जब अखबारों के माध्यम से पूरा माजरा पता चला तो लोगों के बीच यह चर्चा का विषय बन गया. इलाके में एक साधारण व्यक्ति बन कर रहने वाले अभियंता श्रीकांत शर्मा को लेकर किसी को यह विश्वास नहीं हो रहा था कि इंजीनियर ने अपने घर में कुबेर का खजाना छिपाया होगा. श्रीकांत शर्मा मुंगेर के संग्रामपुर के मूल निवासी हैं. उनकी पत्नी शिक्षिका हैं तो बेटा कनाडा में रहकर पढ़ाई करता है. शर्मा 12 अप्रैल 1993 को सरकारी सेवा में आए. इन्होंने अपने व परिजनों के नाम पर अकूत संपत्ति बनाई. मुंगेर, भागलपुर व उत्तराखंड में इन विवादित संपत्तियों की जानकारी मिली है. निगरानी में इनकी शिकायत आयी तो कुछ समय से अधिकारी इसका सत्यापन कराने में लगे हुए थे.
स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के अनुसार बुधवार सुबह 9 बजे ही चार-पांच गाड़ियां हनुमान नगर मोहल्ले में पहुंची थी. विजिलेंस की टीम करीब दो घंटे तक मोहल्ले में घूम कर वहां रहनेवाले अभियंता श्रीकांत शर्मा के बारे में जानकारी जुटाने लगी. अभियंता के रहन-सहन के बारे में जानकारी ली. करीब दो घंटे तक पूरे मोहल्ले में घूमते दिखने वाले लोगों से जानकारी लेने के बाद 11 बजे विजिलेंस टीम अभियंता के घर के अंदर गयी. एक-एक कर पुलिसकर्मियों का भी जुटान होने लगा. छापेमारी शुरू होने के करीब डेढ़ घंटे बाद तक मोहल्ले के लोग इस बात से बेखबर रहे थे कि अभियंता के घर विजिलेंस का छापा पड़ा है. धीरे-धीरे कर जब मीडियाकर्मी मोहल्ले में जुटने लगे तब जाकर विजिलेंस की छापेमारी की जानकारी इलाके के लोगों को हुई.
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स्थानीय लोगों के अनुसार अभियंता श्रीकांत शर्मा के घर आये दिन महंगी गाड़ियों से लोग पहुंचते थे. बताया जा रहा है कि अभियंता के संबंध कई राजनीतिक दिग्गजों सहित कई बड़े रियल इस्टेट कारोबारियों से भी थे. अभियंता के कई जिला सहित राज्य भर के कई रसूखदार, राजनीतिक व्यक्तियों, रियल इस्टेट कारोबारियों और कई बड़े ठेकेदारों के साथ संबंध होने की वजह से इलाके के लोग उन्हें एलिट क्लास का समझते थे.
कार्यपालक अभियंता श्रीकांत शर्मा पर निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला दर्ज कराया है. उनके भागलपुर स्थित आवास में छापेमारी कर विजिलेंस ने करीब 98 लाख कैश और लाखों के जेवरात बरामद किए. वहीं इससे पहले इसी माह श्रीकांत शर्मा पर श्रावणी मेला ड्यूटी से अनुपस्थित रहने और वरीय उपसमाहर्ता से अभद्र व्यवहार करने का आरोप लगा था. इस पर डीआरडीए डायरेक्टर सह श्रावणी मेला दंडाधिकारी ने कार्यपालक अभियंता से स्पष्टीकरण मांगा था. यह कहते हुए स्पष्टीकरण सौंपने का निर्देश दिया गया था कि क्यों नहीं उनके विरुद्ध विधिसम्मत कार्रवाई प्रारंभ की जाये.
सुलतानगंज में चल रहे श्रावणी मेला के सेक्टर पांच में सेक्टर दंडाधिकारी के रूप में डीएम ने बिहार राज्य पुल निर्माण निगम, भागलपुर के कार्यपालक अभियंता श्रीकांत शर्मा को प्रतिनियुक्त किया था. मेला का उद्घाटन गत चार जुलाई को हुआ था. पांच जुलाई से कार्यपालक अभियंता अनुपस्थित पाये गये. इसके एक दिन बाद छह जुलाई को 11.30 बजे सुबह कार्यपालक अभियंता से जिला राजस्व शाखा की वरीय उपसमाहर्ता सुभाषिनी प्रसाद ने फोन से संपर्क किया. संपर्क करने पर कार्यपालक अभियंता द्वारा फोन पर अभद्र व्यवहार किये जाने का आरोप लगा. इसकी लिखित शिकायत वरीय उपसमाहर्ता ने छह जुलाई को की थी.
वरीय उपसमाहर्ता की शिकायत पर डीआरडीए डायरेक्टर सह मेला दंडाधिकारी ने कार्यपालक दंडाधिकारी को पत्र भेज कर कहा कि मेला ड्यूटी से अनुपस्थित रहना और वरीय दंडाधिकारी से अभद्र व्यवहार करना न सिर्फ अनुशासनहीनता और सरकारी सेवक के आचरण के विरुद्ध है, बल्कि विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला में विधि-व्यवस्था जैसे अतिसंवेदनशील मुद्दे पर गंभीर न होना लापरवाही को दर्शाता है.
विजिलेंस की जांच झेल रहे पुल निर्माण निगम के वरीय परियोजना अभियंता और पथ निर्माण विभाग कार्य प्रमंडल, भागलपुर प्रभारी कार्यपालक अभियंता श्रीकांत शर्मा गुरुवार को दफ्तर नहीं आये. कर्मचारी उनके दफ्तर आने का इंतजार कर रहे थे. कर्मी कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे थे. वे बुधवार को भी दफ्तर नहीं आये थे. बताया जाता है कि वे विजिलेंस की टीम को जांच में सहयोग के लिए आवास पर ही रुक हुए थे.
इधर, लगातार दूसरे दिन दोनों विभाग के दफ्तर में उनके नहीं आने से कई फाइल और जरूरी पत्र चेंबर में ही रखे रह गये. नियमानुसार गुरुवार को भी विभागीय कर्मचारियों ने कार्यपालक अभियंता के दस्तखत के लिए कई फाइलों को उनके चेंबर में रख कर दरवाजा सटा दिया था. कार्यपालक अभियंता के सरकारी आवास के गेट पर भी ताला बंद रहा. हालांकि वे यहां नहीं रहते हैं. यही वजह है कि सरकारी आवास के बाहर नेम प्लेट पर पूर्व कार्यपालक अभियंता के नाम का बोर्ड लगा हुआ है.