निर्जला एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है. यह एकादशी ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में आता है. इसी कारण इस एकादशी को ज्येष्ठ एकादशी के नाम से जाना जाता है. गंगा दशहरा के बाद इसे मनाया जाता है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि परिवार में सुख, समृद्धि तथा पितृदोष बना हुआ है तो निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सब दुःख दूर हो जाते है . इस एकादशी का वर्णन महाभारत में भी वर्णित है. निर्जला का मतलब बिना जल ग्रहण किए. इसलिए इस एकादशी का व्रत बिना जल और भोजन ग्रहण किए मनाया जाता है. इसलिए इस एकादशी को चौबीस एकादशी में सबसे उत्तम माना जाता है.
किवदंती के अनुसार पांडव पुत्र भीम अपने अन्य भाइयो और साथ में द्रोपद्री की तरह एकादशी के दिन उपवास नहीं रख सके थे. उनके लिए उपवास करना मुश्किल था. क्योकि उनका शरीर बड़ा था इस कारण उन्हें भूख भी ज्यादा लगता था. भीम को लगा वह इस तिथि को व्रत नहीं करके भगवान विष्णु का अनादर कर रहे है. भीम काफी असमंजस में थे अपने इस समस्या का समाधान खोजने के लिए महर्षि व्यास के पास गए .उनसे उन्होंने अपनी सभी प्रकार की समस्या बताया. तब महर्षि व्यास ने निर्जला एकादशी के महत्व को बताया और उन्हें इस निर्जला एकादशी व्रत के बारे में पूरा विस्तार से बताया. तभी से इसे भीमसेनी एकादशी के नाम से जाना जाने लगा.
निर्जला एकादशी का व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को पड़ता है. इस महीने में गर्मी अधिक रहती है. ऐसे में जो भक्त इस दिन उपवास पर रहते हैं वे सूर्योदय से सूर्यास्त तक बिना जल तथा अन्न के रहते हैं और भगवान विष्णु के साथ में लक्ष्मी जी की भी पूजा होती है. भगवान को दूध, दही, गंगाजल से अभिषेक करें और ध्यान रखें इस दिन तुलसी के पत्ते को नहीं तोड़े. अगर पूजन में तुलसी के पत्ता का जरुरत पड़े तो झड़े हुए तुलसी के पत्तों का प्रयोग पूजन में करना चाहिए.
31मई 2023 दिन बुधवार
एकादशी तिथि का प्रारंभ 30मई 2023 दिन 01: 07 मिनट से
एकादशी तिथि का समाप्ति 31मई 23 दिन 01: 45दोपहर तक
पारण का मुहूर्त :
01 जून 2023 दिन गुरूवार सुबह 05:00 से 7:40 मिनट तक
निर्जला एकादशी की मिटटी के घड़े में गुड से बने सरबत को दान करे.
ऋतुये फल दान करे .
निर्जला एकादशी को अनाज का भी दान किया जाता है .
निर्जला एकादशी को जूता ,चपल छाता दान करने से परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है .
सभी वस्तुए दान करने के समय ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का उच्चारण करके दान करे .
इस दन भगवान विष्णु का पूजन पीले फूल चढ़ाकर तथा पिला फल से पूजन करने से विवाह में बने हुए दोष दुर होते है साथ में पितृदोष से मुक्त होते है .
ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847