हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है. पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी मनाई जाती है. हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि निर्जला एकादशी का व्रत करने वाला व्यक्ति सभी पापों से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति करता है. इस वर्ष निर्जला एकादशी का व्रत 31 मई 2023 को रखा जाएगा. निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है.तो चलिए जानते हैं इस व्रत का महत्व और क्या है पूजा की विधि….
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निर्जला एकादशी भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है. यह व्रत शुभ फलदाई मानी जाती है. महीने में कुल दो एकादशी मनाया जाता है. जबकि पूरे साल में 24 एकादशी मनाया जाता है. ज्येष्ट मास की एकादशी को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है. इसे भीमसेनी एकादसी भी कहते है इस व्रत को निर्जल रहकर भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है. इस व्रत को करने से मोक्ष की प्राप्ति होता है. तथा लम्बी आयु , स्वास्थ ठीक रहता है तथा पाप को नाश करने वाला यह व्रत होता है.
महाभारत के समय एक बार पाण्डव पुत्र भीम ने महर्षि वेद व्यास जी से पूछा-हे मुनिवर! मेरे परिवार के सभी लोग एकादशी व्रत करते हैं व मुझे भी व्रत करने के लिए कहते हैं. लेकिन मैं भूखे नहीं रह सकता हूं. अत: आप मुझे कृपा करके बताएं कि बिना उपवास किए एकादशी का फल कैसे प्राप्त किया जा सकता है.
भीम के अनुरोध पर वेद व्यास जी ने कहा- पुत्र तुम निर्जला एकादशी का व्रत करो, इसे निर्जला एकादशी कहते हैं. इस दिन अन्न और जल दोनों का त्याग करना पड़ता है. जो भी मनुष्य एकादशी तिथि के सूर्योदय से द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक बिना पानी पिए रहता है और सच्ची श्रद्धा से निर्जला व्रत का पालन करता है. उसे साल में जितनी एकादशी आती हैं उन सब एकादशी का फल इस एक एकादशी का व्रत करने से मिल जाता है. ’’ महर्षि वेद व्यास के वचन सुनकर भीमसेन निर्जला एकादशी व्रत का पालन करने लगे और पाप मुक्त हो गए. इसके बाद से निर्जला एकादशी मनाई जाती है.
जो लोग बारह मास का एकादशी नहीं कर पाते है निर्जला एकादशी करने से पूर्ण हो जाता है ,विधि इस प्रकार है.
(1 ) जिस दिन व्रत करना है उसके एक दिन पहले संध्याकाल से स्वस्छ रहे तथा संध्या काल के बाद भोजन नहीं करे.
(3 )व्रत के दिन सुबह में स्नान करने के बाद भगवान विष्णु का पूजन करे पिला वस्त्र धारण करे.
(4 )पूजन के बाद कथा सुने
(5 )इस दिन जो व्रत करते है उनको विशेष दान (सरबत ) करना चाहिए मिट्टी के पात्र में जल भरकर उसमे गुड़ या शक्कर डाले तथा सफ़ेद कपड़ा से ढक कर दक्षिणा के साथ ब्रह्मण को दान दे.
(6) निर्जला एकादशी के दिन तिल का दान करें पितृ दोष से शांति मिलती है
(7) नमक का दान करे नमक दान करने से घर में अन्न की कमी नहीं रहती है।
31मई 2023 दिन बुधवार
एकादशी तिथि का प्रारंभ 30मई 2023 दिन 01: 07 मिनट से
एकादशी तिथि का समाप्ति 31मई 23 दिन 01: 45दोपहर तक
01 जून 2023 दिन गुरूवार सुबह 05:00 से 7:40 मिनट तक
ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847