Niti Ayog Report: बिहार के सीमांचल जिलों में बहुआयामी गरीबी दूसरे जिलों की तुलना में अधिक है.राज्य में सबसे अधिक गरीबी अररिया जिले में है,वहां 52.07% आबादी नीति आयोग के बहुआयामी गरीबी के निर्धारित पैमाने पर गरीब है.वहीं, इसके ठीक उलट सीवान जिले में सबसे कम गरीबी है,वहां महज 17.14% आबादी ही गरीब है.नीति आयोग द्वारा बहुआयामी गरीबी को लेकर जारी रिपोर्ट में यह बातें सामाने आयी है.
नीति आयोग ने जिस अवधि को लेकर आंकड़ा जारी किया है,उसमें सबसे तेजी से गरीबी पूर्वी चंपारण और शिवहर में कम हुई है.इन दोनों जिलों में गरीबी की गिरावट की दर क्रमश:27.74% और 26.23% रही है,जबकि सीवान में बहुआयामी गरीबी का औसत सबसे कम है. सीवान की 17.14% आबादी ही गरीब है.राज्य में बहुआयामी गरीबी (एमपीआइ) में सुधार का श्रेय मुख्य रूप से पोषण, स्कूली शिक्षा, स्वच्छता, शुद्धजल, बिजली,बैंकिंग सर्विस और खाना पकाने के ईंधन में प्रगति को दिया जा सकता है.
बहुआयामी गरीबी के दायरे से बिहार के लोग तेजी से बाहर निकल रहे हैं,यानी गरीबी रेखा से बाहर निकलने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. वर्ष 2013-14 में राज्य की 56.34% आबादी बहुआयामी गरीबी के पैमाने पर गरीब थे, जबकि वर्ष 2022-23 तक आते- आते राज्य में गरीबों का प्रतिशत कम होकर 26.59% रह गया है.नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार इस अवधि में बिहार में 3.77 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आये हैं. वर्ष 2022-23 में यदि राज्य की आबादी 14 करोड़ मान ली जाये, तो राज्य में गरीबों की संख्या करीब 3.72 करोड़ रह गयी है.
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आयोग के अनुसार राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी 12 सतत विकास लक्ष्यों से संबद्ध संकेतकों के माध्यम से दर्शाये जाते हैं. इनमें पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृत्व स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता, पीने का पानी, बिजली, आवास, संपत्ति और बैंक खाते शामिल हैं.इस पैमाने पर बिहार ने अच्छा प्रदर्शन किया है.