नीतीश कैबिनेट (Bihar Cabinet Meeting) ने मंगलवार (4 जुलाई) को हुई बैठक ने आठ एजेंडों पर मुहर लगा दी. कैबिनेट की बैठक में न्यायालय में सभी सरकारी वकीलों की नियुक्ति की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया गया है. अब सरकारी वकील की नियुक्ति महाधिवक्ता की अध्यक्षता वाली एक कमेटी करेगी. इस कमेटी में लॉ सेक्रेटरी, विधि विभाग के सचिव शामिल होंगे. इसकी अंतिम स्वीकृति कानून मंत्री देंगे. जिला स्तर के मामलों के लिए वकीलों की नियुक्ति डीएम और डिस्ट्रिक्ट जज द्वारा की जाएगी.
विभिन्न स्तर के न्यायालयों में काम करनेवाले सरकारी वकीलों का चयन अब राज्य स्तरीय चयन समिति करेगी. यह समिति महाधिवक्ता के अध्यक्षता में गठित होगी. इसमें विधि सचिव, विधि विभाग के विशेष सचिव या संयुक्त सचिव सदस्य होंगे. यह समिति जिला स्तर पर पीपी, जीपी, एपीपी, एजीपी, हाइकोर्ट के लिए एडिशनल एडवोकेट जनरल, गवर्नमेंट एडवोकेट, प्लीडर, स्टैंडिंग काउंसिल, पब्लिक प्रोस्क्युटर और सुप्रीम कोर्ट के लिए एडिशनल एडवोकेट जनरल और स्टैंडिंग काउंसिल का चयन करेगी. कैबिनेट ने इसके लिए बिहार विधि पदाधिकारी (वचनबद्धता) नियमावली 2023 को स्वीकृति दे दी है. नयी नियमावली में सरकारी वकीलों के प्राइवेट प्रैक्टिस करेंगे या नहीं करेंगे, इसको लेकर भी प्रावधान किया गया है.
कैबिनेट विभाग के अपर मुख्य सचिव ने बताया कि कोविड 19 और यूक्रेन युद्ध के कारण उत्पन्न स्थिति को देखते हुए विदेशों से मेडिकल ग्रेजुएट करनेवाले विद्यार्थियों को अब राज्य के मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में इंटर्नशिप करने का मौका मिलेगा. इतना ही नहीं ऐसे विदेश से ग्रेजुएट करनेवाले विद्यार्थियों को नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) के समरूप छात्रवृत्ति भी दी जायेगी. विदेशों से मेडिकल ग्रेजुएट करनेवाले छात्रों को इंटर्नशिप की कुल सीटों में से 7.5 प्रतिशत सीटों पर ही इंटर्नशिप करने का मौका मिलेगा. उन्होंने बताया कि एनएमसी के दिशा निर्देशों के अनुसार स्टेट मेडिकल काउंसिल में निबंधन के क्रम में इंटर्नशिप के लिए राज्य के मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में इंटर्नशिप की सुविधा देना है. इसके लिए उन छात्रों से कोई राशि या शुल्क नहीं लिया जायेगा.