बिहार में आरक्षण का दायरा बढ़ाए जाने के प्रस्ताव पर मंगलवार को नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में मुहर लग गई. बैठक में राज्य में आरक्षण का दायरा बढ़ा कर 75 फीसदी किए जाने पर सहमति दी गई. अब इस बिहार आरक्षण बिल 2023 को विधानमंडल से पास कराया जाएगा. इसके लिए इसे 9 नवंबर को दोनों सदन के पटल पर इस आरक्षण बिल को पेश किया जाएगा. इसके साथ ही कैबिनेट ने बैठक में 94 लाख से अधिक गरीबों को स्वरोजगार के लिए मुफ्त दो लाख रुपये सतत जीवीकोपार्जन योजना के प्रस्ताव को सहमति दे दी है. कैबिनेट में पीएम आवास (ग्रामीण) के लिए भूमिहीन परिवारों को अब जमीन खरीदने के लिए 60 हजार की जगह पर एक लाख रुपये देने के प्रस्ताव पर भी स्वीकृति दी गयी.
कुछ ऐसी दिखेगी आरक्षण की तस्वीर
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कैबिनेट से पास बिल में आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा को बढ़ाकर 65 फीसदी कर दिया गया है. साथ ही आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को 10 फीसदी आरक्षण मिलता रहेगा. इसके बाद आरक्षण की सीमा बढ़ कर 75 फीसदी हो जायेगी और पहले के 40 प्रतिशत की जगह अब 25 फीसदी सीटें सामान्य वर्ग के लिए होगी. सदन से बिल पास होने के बाद अत्यंत पिछड़ा वर्ग यानी ईबीसी को 25 फीसदी आरक्षण मिलेगा. वहीं अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 18 फीसदी आरक्षण मिलेगा. अनुसूचित जाति यानी एससी को 16 फीसदी आरक्षण की जगह 20 फीसदी आरक्षण देने का प्रस्ताव पारित किया गया है. वहीं, अनुसूचित जनजाति यानी एसटी को पहले से मिल रहे 1 फीसदी आरक्षण की जगह 2 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव पारित किया है.
विधानमंडल में सीएम ने आरक्षण की सीमा बढ़ाए जाने का प्रस्ताव दिया था
इससे पहले सीएम नीतीश कुमार ने बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में चर्चा के दौरान कहा कि बिहार में आरक्षण की सीमा बढ़ाए जाने के लिए इसी सत्र में विधेयक लाया जाएगा. उन्होंने कहा कि जाति गणना की सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक रिपोर्ट बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में पेश किये जाने के बाद इसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भी भेज दी जायेगी. केंद्र सरकार से आग्रह करेंगे कि इसी तरह पूरे देश में जनगणना करायी जाये, ताकि लोगों की जातीय, सामाजिक, शैक्षणिक व आर्थिक स्थिति का अंदाजा मिल सके. अगर केंद्र सरकार भी इस तरह के आंकड़े इकट्ठा कर सके तो उनको योजनाएं तैयार करने में कितना फायदा मिलेगा. सदन में चर्चा के दौरान उन्होंने आरक्षण की सीमा बढ़ाए जाने का प्रस्ताव दिया.
भाजपा ने आरक्षण बढ़ाए जाने का किया समर्थन
इधर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने बिहार सरकार के आरक्षण का दायरा बढ़ाये जाने के प्रस्ताव का समर्थन देने की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि सरकार आरक्षण के दायरे के बढ़ाने के जिस प्रस्ताव को लेकर सदन में आयी है, भाजपा उसका समर्थन करेगी. भाजपा जब भी सत्ता में रही, तब भी उसने आरक्षण का समर्थन किया.
सम्राट चौधरी ने कहा कि पिछले साल जब एनडीए की सरकार थी, तब प्रदेश में जातीय गणना कराने का निर्णय लिया गया और इसकी शुरुआत की गयी थी, जिसका आज फलाफल देखने को मिला. उन्होंने इस गणना रिपोर्ट को डिजिटल रूप में सार्वजनिक करने की भी मांग सरकार से की, ताकि लोग भी इसे देख और जान सके. उन्होंने कहा कि भाजपा जब भी सरकार में रही और तब आरक्षण देने की आवश्यकता हुई तो भाजपा समर्थन में खड़ी रही. मंडल कमीशन के दौरान भी जब बीपी सिंह सरकार को आरक्षण में भाजपा के समर्थन की जरूरत थी, तब भाजपा ने मदद किया. बिहार में कर्पूरी ठाकुर ने जब अति पिछड़ों को आरक्षण दिया तब भी भाजपा के एमएलए ने समर्थन किया. बिहार में जब एनडीए की सरकार बनी तो पंचायत चुनाव में आरक्षण दिया गया. भाजपा का संदेश साफ है कि सरकार आरक्षण बढ़ाये जाने का प्रस्ताव लायेगी तो भाजपा उसका समर्थन करेगी. विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि सरकार की आरक्षण का दायरा बढ़ाने के लिए नियत और नीति साफ होनी चाहिए. केवल लटकाने और भटकाने की नीति नहीं चलेगी.
Also Read: बिहार में 95.5 प्रतिशत लोगों के पास कोई गाड़ी नहीं, महज 0.44 फीसदी के पास चार पहिया वाहन
जातीय गणना रिपोर्ट का समर्थन भाजपा मजबूरी ने किया : तेजस्वी यादव
उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि भाजपा ने मजबूरी में जातीय गणना रिपोर्ट का समर्थन करना पड़ा . रिपोर्ट के बाद कौन सी जाति की क्या आर्थिक और सामाजिक स्थिति है. इस रिपोर्ट से सबकुछ सामने आ गया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का निश्चय था कि जातीय गणना किया जाये.