पटना . बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद सूबे में पहली बार भाजपा कोटा से सबसे ज्यादा 16 मंत्री हो गये हैं. इस बार भाजपा ने कई नये प्रयोग करते हुए कई वर्गों को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है. इसमें सबस महत्वपूर्ण है कि बिहार की राजनीति में भाजपा की तरफ से पहली बार किसी मुस्लिम या अल्पसंख्यक समुदाय के नेता का मंत्री बनाना.
पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन को केंद्रीय राजनीति यानी दिल्ली से बुलाकर अचानक यहां बिहार में एमएलसी (विधान परिषद) बनाया गया. उन्हें पूर्व डिप्टी सीएम सह सांसद सुशील कुमार मोदी के खाली हुई सीट से उच्च सदन का सदस्य बनाया गया. इसके साथ ही उन्हें मंत्रिमंडल में स्थान भी दिया गया है. भाजपा ने इस नये समीकरण के साथ ही नया संदेश देने की कोशिश की है.
इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए सबसे ज्यादा 74 सीटें हासिल की हैं, जो उनके सहयोगी दल जदयू की 43 सीटों से कहीं ज्यादा हैं. इसका असर भी साफतौर पर बिहार के नये मंत्रिमंडल में दिख रहा है. भाजपा के सबसे ज्यादा 16 मंत्री बने हैं.
इस बार भाजपा ने अपने कोटे से बनाये गये मंत्रियों में जातिगत और सामाजिक समीकरण साधने की पूरजोर कोशिश की है. हालांकि, 16 मंत्री में सबसे ज्यादा सात मंत्री अगड़े समुदाय से आते हैं. इनमें सबसे ज्यादा राजपूत समुदाय से हैं. सुभाष सिंह, नीरज कुमार सिंह बबलू एवं अमरेंद्र प्रताप सिंह मंत्री बनाये गये हैं. इनके अलावा कायस्थ समाज के एकमात्र नितिन नवीन और भूमिहार समाज से जीवेश मिश्रा को मंत्री बनाया गया है.
वहीं, ब्राह्मण समुदाय से दो मंगल पांडेय और आलोक रंजन झा को मंत्री बनाया गया है. इसके अलावा पिछड़ा समुदाय से पांच, अतिपिछड़ा से एक, दो दलित के अलावा एक अल्पसंख्यक को भी मंत्रिमंडल में स्थान दिया गया है. पिछड़ा वर्ग से बनाये गये मंत्रियों में सबसे ज्यादा वैश्य समुदाय से तीन मंत्री बनाये गये हैं.
Posted by Ashish Jha