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नीतीश कैबिनेट का विस्तार : बिहार में पहली बार आइपीएस बना मंत्री, छह को पहली बार मिला मंत्री बनने का मौका

नीतीश सरकार के कैबिनेट विस्तार में 11 नये चेहरों को कमान मिली है. पहली बार किसी रिटायर्ड आइपीएस अधिकारी को मंत्री बनाया गया है.

अनिकेत/प्रह्लाद, पटना. नीतीश कुमार की सरकार के कैबिनेट विस्तार में 11 नये चेहरों को कमान मिली है. पहली बार किसी रिटायर्ड आइपीएस अधिकारी को मंत्री बनाया गया है. छह ऐसे नेताओं को भी मंत्री पद की शपथ दिलायी गयी, जो पहले से मंत्री रह चुके हैं. इनमें सबसे पहला नाम सम्राट चौधरी का है. वह 1999 में कृषि मंत्री रह चुके हैं.

एनडीए सरकार में वह वर्ष 2014 में नगर विकास व आवास मंत्री भी थे. वह आधा दर्जन से अधिक बार विधायक और एक बार सांसद भी रह चुके हैं. दूसरा नाम श्रवण कुमार का है. वह पिछली सरकार में मंत्री थे. उन्हें ग्रामीण विकास विभाग व संसदीय कार्य मंत्री की जिम्मेदारी मिली थी. नीतीश सरकार के कैबिनेट विस्तार में रिटायर्ड आइपीएस अधिकारी को मंत्री बनाने से जुड़ी हर News in Hindi से अपडेट रहने के लिए बने रहें हमारे साथ.

अब उन्हें दोबारा मंत्री बनाया गया है. जानकारों की मानें तो श्रवण कुमार जदयू में नीतीश कुमार के बाद सेकेंड लाइन के नेता माने जाते हैं. इसके अलावा संजय झा को भी जदयू कोटे से दोबारा मंत्री बनाया गया है.

संजय झा पूर्व में जल संसाधन विभाग की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. चौथा नाम लेसी सिंह का है. लेसी सिंह पिछली नीतीश सरकार में समाज कल्याण मंत्री थी. पांचवां नाम मदन सहनी का है. वह पिछली सरकार में खाद्य व उपभोक्ता मंत्री थे. छठा नाम प्रमोद कुमार का है. वह पिछली सरकार में कला, संस्कृति व युवा मामले विभाग को संभाल चुके थे.

बांकीपुर से विधायक नितिन नवीन को भी पहली बार कैबिनेट में जगह मिली है. नितिन भाजपा नेता नवीन किशोर सिन्हा के बेटे हैं. नितिन चार बार से विधायक हैं. बसपा से विधायक बने और बाद में जदयू में आये जमा खां भी जेडीयू कोटे से मंत्री बनाये गये हैं.

सुनील कुमार भोरे से पहली बार लड़े व जीते

राज्य में ऐसा पहली बार हुआ है. जब कोई चुनाव जीत कर आये सेवानिवृत्त आइपीएस पुलिस अफसर को मंत्री बनाया गया है. 1987 बैच के अाइपीएस और एडीजी पद पर रहे सुनील कुमार बीते वर्ष जुलाई ही सेवानिवृत्त हुए थे.

अगस्त में जदयू का दामन थामा था. इसके बाद उन्होंने गोपालगंज के भोर से चुनाव लड़ा. अब वे मंत्री बनाये गये हैं. उनकी गिनती तेज तर्रार अफसर में होती थी. उनके बड़े भाई अनिल कुमार भी कांग्रेस से विधायक थे.

इस बार यह सीट माले के खाते में चली गयी थी. उसके बाद अनिल कुमार को टिकट नहीं मिला था. जेडीयू ने इस सुरक्षित सीट से पूर्व आइपीएस सुनील कुमार को मैदान में उतार दिया और उन्होंने चुनाव में जीत भी हासिल की है.

Posted by Ashish Jha

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