नीतीश कुमार ने बिहार में महगठबंधन सरकार का पहला मंत्री मंडल विस्तार कर लिया है. इस मंत्री मंडल में 31 मंत्रियों ने शपथ ली है. मंत्री मंडल में जहां महगठबंधन की सभी पार्टियों को उनके विधायकों की संख्या में ध्यान रखते हुए मंत्री पद दिया गया है. वहीं बिहार की जातिगत समीकरण का भी ख्याल रखा गया है. नए कैबिनेट में आठ यादव विधायकों पर भरोसा जताया गया है. वहीं इन आठ विधायकों में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के पार्टी के विधायक शामिल हैं. वहीं बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार विधानसभा के अध्यक्ष के रूप में एक दलित चेहरे को चुन सकते हैं. हालांकि अभी मंत्री बने विधायकों को विभाग नहीं दिया गया है.
बिहार मंत्री मंडल में आठ यादवों के साथ ही पांच मुस्लिम विधायकों को जगह मिला है. इसके अलावा अनुसूचित जाति के 5, अतिपिछड़ा वर्ग से 4 मंत्री शामिल थे. मंत्री मंडल में नोनिया जाति से राजद कोटे से एक विधायक को स्थान मिला है. वहीं कुशवाहा समाज से नीतीश कुमार ने दो मंत्रियों को सीट देकर चिराग पर बड़ा प्रहार कर दिया है. इसके अलावे दो कुर्मी और तीन राजपुत विधायकों को मंत्री मंडल में जगह मिली है. मंत्री मंडल में केवल एक ब्राह्मण और एक वैश्य समाज के मंत्री को स्थान मिला है.
विधानसभा में अवध बिहारी चौधरी को स्पीकर के रूप में चुना जा सकता है. अवध बिहारी चौधरी राजद के वरिष्ठ नेता है. इनका लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव के साथ रिश्ते काफी अच्छे हैं. इसके साथ ही मंत्रिमंडल के विस्तार में उन्हें मंत्री न बनाने से इस बात पर लगभग मोहर लग गयी है. मंत्रिमंडल विस्तार में 11 जदयू, 16 राजद, दो कांग्रेस और एक हम विधायक को मंत्री पद दिया गया है. इसमें नीतीश कुमार, लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव के करीबी लोग शामिल है. कांग्रेस में हालांकि मंत्री पद को लेकर अभी भी असंतोष दिख रहा है.