मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साल 2016 में बिहार में शराबबंदी का ऐलान किया था. जिसके बाद प्रदेश में शराब के व्यापार पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई. इतना ही नहीं शराबबंदी को सफल बनाने के लिए मद्य निषेध विभाग का गठन करने के साथ ही कठोर कानून भी बनाया गया. लेकिन हाल में ही पिछले दिनों सूबे में जहरीली शराब पीने से हुई लोगों की मौत के बाद पटना हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की. जिसके बाद नीतीश सरकार शराबबंदी को लेकर बड़ा फैसला करने जा रही रही है. इस बात का संकेत खुद मद्य निषेध विभाग के मंत्री रत्नेश सदा ने दी है.
अपने उद्देश्य से भटका शराबबंदी: पटना हाईकोर्ट
बिहार में लागू शराबबंदी के बावजूद लोगों की जहरीली शराब पीने से हुई मौत पर पटना हाईकोर्ट ने तीखी टिप्पणी की है. एक केस की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि बिहार में लागू शराबबंदी कानून अपने उद्देश्य से भटक गया है. इसे ठीक करने की जरूरत है. बताया जा रहा है कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद से ही नीतीश सरकार सूबे में शराबबंदी कानून को और कठोर करने जा रही है. इतना ही नहीं शराब के धंधे में जुटे लोगों पर CCA और संपति जब्ती कानून लागू करने पर गंभीरता से विचार कर रही है.
लाएंगे नया कानून: मंत्री सदा
हाईकोर्ट की टिप्पणी पर जब बिहार सरकार के मद्य निषेध विभाग के मंत्री रत्नेश सदा से सवाल किया गया तो वह बचाव की मुद्रा में नजर आए. उन्होंने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि बिहार सरकार पटना हाई कोर्ट का पूरा सम्मान करती है और हाईकोर्ट ने अगर कुछ कहा है तो उसे पूरे मामले को सरकार देखेगी. राज्य सरकार लगातार जागरूकता अभियान चला रही है, इसका असर भी हो रहा है. जो भी शराब तस्कर हैं और बड़े शराब माफिया हैं, अब उनकी संपत्ति जब्त होगी. इसके लिए सरकार नया कानून लाने पर विचार कर रही है और CCA जैसे कड़े कदम भी उठाएगी.
शराब माफियाओं के घर पर चलेगा बुल्डोजर
इस मुद्दे पर जब बिहार सरकार की सहयोगी बीजेपी से सवाल किया गया तो बीजेपी प्रवक्ता दानिश ने कहा कि नीतीश सरकार अवैध शराब बनाने और बेचने वाले पर लगातार कारवाई कर रही है और जरूरत पड़ने पर आगे शराब बेचने वालों के घर पर बुल्डोजर भी चलाया जाएगा. वहीं, शराबबंदी के मुद्दे पर आरजेडी प्रवक्ता एज्या यादव ने आरोप लगाया कि हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद ये तो साफ हो गया कि बिना सरकार के और प्रशासन के मिलीभगत के बिहार में अवैध शराब ना तो बिक सकती है और ना बन सकताी है. बिहार में शराबबंदी कानून पूरी तरह से फेल है.