पटना. राज्य में खराब राजकीय नलकूप ठीक नहीं करने और उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं देने वाले मुखिया पर कार्रवाई की तैयारी की जा रही है. इसके लिए लघु जल संसाधन विभाग ने सभी डीएम को निर्देश जारी किया है. इसके तहत राज्य के करीब 30 फीसदी मुखिया पर यह आरोप है कि उन्होंने राजकीय नलकूप ठीक करने के लिए विभाग से पैसे मिलने के बावजूद नलकूप ठीक नहीं करवाया. साथ ही उस पैसे का उपयोगिता प्रमाणपत्र भी नहीं दिया. राजकीय नलकूपों के संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी मुखिया को सौंप दी गयी है.
सूत्रों के अनुसार इससे पहले राजकीय नलकूपों को ठीक करने को लेकर इस साल भी कई बैठकें हो चुकी हैं. इसके बावजूद अब भी बड़ी संख्या में नलकूपों को खराब होने और इससे सिंचाई बाधित होने की शिकायत मिल रही थी. राज्य में राजकीय नलकूप करीब 10 हजार 240 हैं. बता दें कि 21 फरवरी, 2022 तक 6376 नलकूप खराब थे. केवल 3864 नलकूपों से सिंचाई का काम हो रहा था. सरकारी नलकूपों के खराब होने के कारणों में बताया गया है कि कुछ नलकूपों के उपकरण गायब हैं. वहीं ,कुछ नलकूपों के पंप गिर गये हैं. कहीं मोटर खराब हैं. ऐसे में मरम्मत की अभाव में नलकूपों के खराब होने से सिंचाई सुविधा नहीं मिल पा रही है.
लघु जल संसाधन विभाग ने जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत राज्य में आहर-पइन और चेकडैम की मरम्मत और निर्माण की तैयारी की है. इसके तहत हाल ही में आरा और मुजफ्फरपुर जिले के आहर-पइन की मरम्मत के लिए निर्माण एजेंसी के चयन की प्रक्रिया शुरू की गयी है. साथ ही अन्य जिलों के लिए प्रक्रिया शुरू की जा रही है. वहीं, सूत्रों के अनुसार सिंचाई सहित राज्य का ग्राउंड वाटर लेवल बेहतर करने के लिए पठारी इलाकों में गारलैंड ट्रेंच बनाने की तैयारी तेजी से चल रही है. कई जगह काम शुरू हुआ है. इसके लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने दक्षिण बिहार के कई जिलों की पहचान कर वहां की योजना तैयार की है.