बिहार वेटनरी कॉलेज ग्राउंड में तीन दिवसीय बिहार डेयरी एंड कैटल एक्सपो में आधा दर्जन नस्ल के गाय और भैंस लाए गए थे. लेकिन इनमें सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र बना घोलू-2 भैंसा.
पहली बार इस तरह के मेले में खास कर गंगातीरी नस्ल की गाय व मुर्रा नस्ल के भैंसा घोलू-2 की खासियत को जानने के लिए लोग बेताब दिखे. घोलू-2 को देखने के लिए भीड़ जमा रही. बिहार डेयरी एंड कैटल एक्सपो में अलग-अलग 38 स्टॉलों पर पशु चारा से लेकर दवाई व पालन के बारे में जानकारी दी गयी.
हरियाणा के पानीपत के गोलूडेयरी फॉर्म का भैंसा घोलू-2 ऑल इंडिया चैंपियन है. छह साल के घोलू-2 के सीमेन की बिक्री से दो लाख रुपये प्रति माह कमाई होती है. इसकी सींगें काफी आकर्षक हैं. इसका वजन 16 क्विंटल है.
बिहार डेयरी एंड कैटल एक्सपो में 10 करोड़ के घोलू-2 भैंसे के साथ सेल्फी की होड़ मची रही. इसे रोकने के लिए मालिक नरेंद्र सिंह को लोगों से विनती करनी पड़ी.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार डेयरी एंड कैटल एक्सपो में गुरुवार को पहुंचे थे. घोलू 2 भैंसे को देखने भी सीएम पहुंचे. उन्होंने भैंसे के बारे में पूरी जानकारी ली.
घोलू 2 भैंसे के मालिक नरेंद्र सिंह ने बताया कि भैंसा घोलू-2 की वजह से मेरी पहचान है. इससे मुझे पद्मश्री का अवॉर्ड मिला है. इसकी देखभाल में रोजाना दो हजार रुपये खर्च होते हैं. खाने में हरा चारा के अलावा दूध, सेब, गाजर, आलू, केला, चना, मक्का, बाजरा आदि देता हूं. एक बार सीमेन की बिक्री से 300 रुपये लिये जाते हैं. इसकी मां रानी एक दिन में 26 किलो दूध देती है. इससे तैयार चार साल का बेटा पंजाब मेले में भी चैंपियन रहा. इसका दादा घोलू 13 साल तक चैंपियन रहा.
वहीं बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी एक्सपो में पहुंचे तो घाेलू-2 को जाकर देखा. उन्होंने ट्वीटर पर लिखा कि 10 करोड़ की कीमत तथा 30 हजार से ज्यादा बच्चों के पिता मुर्रा नस्ल के भैंसे से मिलने मैं पहुंचा.
तेजस्वी यादव ने घोलू-2 के बारे में लिखा कि मुर्रा नस्ल पालतू भैंस की एक नस्ल है, जो दूध उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है. दूध में वसा उत्पादन के लिए मुर्रा सबसे अच्छी नस्ल है. इस नस्ल की भैंसों को ‘काला सोना’ कहा जाता है.
ट्वीट के जरिए तेजस्वी यादव ने किसानों को सलाह दी कि अगर किसानों को दुग्ध उत्पादन में बेहतरीन कमाई करनी है तो वह गाय के साथ अच्छी नस्ल की एक-दो भैंस का पालन जरूर करें, इससे दूध में कभी कमी नहीं आएगी.