मंगलवार को बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में जातीय गणना के आधार पर विभिन्न जातियों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति का आंकड़ा जारी किया गया. जिसके बाद अब आरक्षण का दायरा बढ़ाने की भी कवायद शुरू हो गई है. सीएम नीतीश कुमार ने विधानसभा में सर्वे रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान राज्य में आरक्षण का दायरा बढ़ाने का प्रस्ताव पेश किया. उन्होंने आरक्षण को 75 फीसदी तक बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है. उन्होंने कहा कि इसके लिए आवश्यक कानून इसी सत्र में लाया जायेगा. साथ ही मुख्यमंत्री ने जातीय गणना से निकले आंकड़ों के आधार पर कई कल्याणकारी योजनाएं चलाये जाने का जिक्र करते हुए कहा कि अगर केंद्र सरकार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दे तो हम बहुत कम समय में इस असमानता को दूर कर पाने में सक्षम होंगे.
क्या बोले सीएम…
जातीय गणना की रिपोर्ट को सदन में रखे जाने के बाद इस पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जातीय गणना से मिले आंकड़ों के अनुसार अनुसूचित जाति की आबादी 16 से बढ़ कर 19.65 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति की आबादी एक फीसदी से बढ़ कर 1.68 फीसदी हो गयी है. ऐसे में उनको दिया जाने वाला आरक्षण 16 फीसदी और एक फीसदी को बढ़ा कर क्रमश: 20 फीसदी और दो फीसदी करना ही होगा. एससी-एसटी का आरक्षण 22 फीसदी होने पर 50 में से मात्र 28 फीसदी ही आरक्षण बचेगा. चूंकि पिछड़ी जातियों की आबादी 63 फीसदी है, इसलिए उनको भी आरक्षण देना होगा. इसलिए हम आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा को बढ़ा कर 65 फीसदी करने का प्रस्ताव रखते हैं. हम सवर्णों में कमजोर वर्ग (ईडब्लूएस) को भी 10 फीसदी आरक्षण दे रहे हैं. इस प्रकार नौकरियों में आरक्षण की सीमा बढ़ कर 75 फीसदी हो जायेगी और पहले के 40 फीसदी की जगह अब 25 फीसदी सीटें सामान्य वर्ग के लिए होगी.
इस तरह बढ़ाया जा सकता है आरक्षण का दायरा
-
अनुसूचित जाति को फिलहाल 16 फीसदी आरक्षण को बढ़ाकर 20 फीसदी किया जाएगा
-
अनुसूचित जनजाति को एक फीसदी से बढ़ाकर 2 फीसदी किया जाएगा
-
अत्यंत पिछड़ा वर्ग और अन्य पिछड़ा वर्ग को मिलाकर 43 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा
केंद्र सरकार को भेजेंगे रिपोर्ट, पूरे देश में जातीय गणना कराने का होगा आग्रह
मुख्यमंत्री ने कहा कि जातीय गणना की सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक रिपोर्ट बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में पेश किये जाने के बाद इसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भी भेज दी जायेगी. अगर केंद्र सरकार से आग्रह करेंगे कि इसी तरह पूरे देश में जनगणना करायी जाये, ताकि लोगों की जातीय, सामाजिक, शैक्षणिक व आर्थिक स्थिति का अंदाजा मिल सके. अगर केंद्र सरकार भी इस तरह के आंकड़े इकट्ठा कर सके तो उनको योजनाएं तैयार करने में कितना फायदा मिलेगा.
Also Read: विधानमंडल में जाति गणना की आर्थिक रिपोर्ट पेश, सवर्णों में सबसे अधिक नौकरी कायस्थ के पास
94 लाख गरीब परिवारों को देंगे दो-दो लाख रुपये
मुख्यमंत्री ने सदन में कहा कि जातीय गणना में आंकड़ा निकल कर आया है कि राज्य में सभी जातियों को मिला कर कुल 94 लाख गरीब परिवार हैं. इनके पास कोई रोजगार तक नहीं है. राज्य सरकार ऐसे हर परिवार को कम से कम दो-दो लाख रुपये की नि:शुल्क मदद करेगी, ताकि वे कोई काम शुरू कर सके. यह राशि सभी जाति के गरीब परिवारों को मिलेगी. इसके साथ ही 63,850 परिवारों को अपना घर नहीं होने की जानकारी मिली है. इनको अभियान चला कर आवास की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी. अब जमीन खरीदने के लिए उनको 60 हजार रुपये की जगह एक लाख रुपये का सहयोग किया जायेगा. आवास बनाने के लिए 1.20 लाख रुपये का सहयोग अलग से मिलेगा. इन दोनों कार्यों को पूरा करने के लिए दो लाख 50 हजार करोड़ रुपये की जरूरत होगी. हमने हर साल 50-50 हजार करोड़ रुपये देकर पांच साल में इस काम को पूरा करने का लक्ष्य रखा है. लेकिन, अगर केंद्र सरकार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दे दे, तो हमको यह काम करने में पांच साल का समय नहीं लगेगा.