नीतीश कुमार बनेंगे राष्ट्रीय राजनीति की धुरी, सोनिया गांधी ने दिया यूपीए संयोजक बनने का प्रस्ताव
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधी टक्कर देंगे. माना जा रहा है कि नीतीश कुमार 2024 के चुनाव में विपक्ष के साझा प्रधानमंत्री पद का चेहरा होंगे. सोनिया गांधी ने महागठबंधन के नेता बनने पर उन्हें यूपीए के संयोजक बनने का भी प्रस्ताव दिया है.
पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधी टक्कर देंगे. माना जा रहा है कि नीतीश कुमार 2024 के चुनाव में विपक्ष के साझा प्रधानमंत्री पद का चेहरा होंगे. सोनिया गांधी ने महागठबंधन के नेता बनने पर उन्हें बधाई देने के साथ-साथ यूपीए के संयोजक बनने का भी प्रस्ताव दिया है. माना जा रहा है कि सोनिया गांधी के प्रस्ताव को नीतीश कुमार स्वीकार करेंगे.
साफ सुथरी छवि होने के साथ समाजवाद का तमगा
हिंदी पट्टी में लोकसभा की आधे से अधिक सीटें हैं. हिंदी पट्टी में पिछड़े वर्ग से आने वाले नीतीश कुमार एकमात्र ऐसे नेता हैं, जिनकी साफ सुथरी छवि होने के साथ समाजवाद का तमगा भी है. जदयू के अलग हो जाने के बाद हिंदी प्रदेश में भाजपा अकेले पड़ गयी है. हालांकि भाजपा ने यह तय कर दिया है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ही प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे और उनके नेतृत्व में ही सरकार बनेगी.
नीतीश बाबू से बड़ा कोई समाजवादी नहीं
भाजपा को नरेंद्र मोदी के उम्मीदवार होने से उनके अति पिछड़ा होना, साफ सुथरी छवि होना और हिंदुत्ववादी चेहरा होने का लाभ मिलता रहा है. इसकी काट में नीतीश कुमार के पक्ष में बिहार में किये गये ऐसे कई कार्यों के नाम हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर नजीर बना. खुद प्रधानमंत्री ने कई अवसरों पर कहा कि नीतीश बाबू से बड़ा कोई समाजवादी नहीं.
नीतीश कुमार भाजपा को टक्कर देने के लिए अधिक प्रभावी
फिलहाल राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस मुख्य विपक्षी पार्टी है. पर, कांग्रेस के दोनों ही लीडर सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर इडी की तलवार लटक रही है. दूसरी ओर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का सवर्ण होना उनकी दावेदारी में प्रमुख रोड़ा अटक सकता है. वैसी स्थिति में यूपी में अखिलेश यादव, झारखंड में हेमंत सोरेन, ओड़िशा में नवीन पटनायक, मध्य प्रदेश में भूपेश पटेल, राजस्थान में अशोक गहलोत और महाराष्ट्र में शरद पवार की तुलना में नीतीश कुमार का चेहरा भाजपा को टक्कर देने के लिए अधिक प्रभावी माना जा रहा है.
सबसे सहज रूप से बात करने की क्षमता
बिहार 40, झारखंड-14, यूपी-79, मध्य प्रदेश-29, महाराष्ट्र-46, छत्तीसगढ़-11 और पश्चिम बंगाल में 42 लोकसभा की सीटें हैं. इनमें राजस्थान और मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकारें हैं. जबकि, महाराष्ट्र में शरद पवार की राकांपा विपक्ष में है. ऐसे में नीतीश कुमार एक मात्र ऐसे पिछड़े वर्ग के नेता हैं जो सबसे सहज रूप से बात कर सकते हैं.