नीतीश सरकार की इस पहल से बढ़ जायेगा दस फीसदी कृषि उत्पादन, ऐसे होगी अब बिहार में खेती
राज्यभर के किसानों के खेतों की मिट्टी की नि:शुल्क जांच करायी जा रही है. मिट्टी जांच के लिए संसाधनों के रखरखाव और तंत्र के काम निगरानी के लिए प्रत्येक प्रमंडल में उपनिदेशक (रसायन) की जिम्मेदारी निर्धारित कर दी है.
पटना. जमीन और मौसम के अनुसार खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार मिट्टी की गुणवत्ता के आधार पर खेती कराने के अभियान चला रही है.
इसी योजना के तहत राज्यभर के किसानों के खेतों की मिट्टी की नि:शुल्क जांच करायी जा रही है. मिट्टी जांच के लिए संसाधनों के रखरखाव और तंत्र के काम निगरानी के लिए प्रत्येक प्रमंडल में उपनिदेशक (रसायन) की जिम्मेदारी निर्धारित कर दी है.
उपनिदेशक रसायन योजनाओं के क्रियान्वयन के प्रभारी होंगे. जिला मिट्टी जांच प्रयोगशाला एवं चलंत मिट्टी जांच प्रयोगशाला के द्वारा सभी परियोजनाओं – पदाधिकारियों की माॅनीटरिंग करेंगे. मृदा स्वास्थ्य सुधार से संबंधित योजनाओं की क्षमता पर भी विचार- विमर्श करेंगे.
सभी 38 जिलों में स्थापित हैं मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं
राज्य में कुल खेती योग्य क्षेत्र 75.25 लाख हेक्टेयर है, लेकिन वास्तविक फसल क्षेत्र 52.45 लाख हेक्टेयर ही है. इसमें भी मात्र 22.83 लाख हेक्टेयर क्षेत्र ऐसा है जिस पर किसान एक से अधिक फसल उगा रहे हैं.
29.62 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में एक ही फसल होने का प्रमुख कारण किसानों का मिट्टी के अनुसार खेती न करना है. बिहार सरकार इस तस्वीर को बदलने के लिए खेतों की मिट्टी की जांच को बढ़ावा दे रही है.
खेत को कौन- सा तत्व चाहिए, किसान खाद आदि का ओवरडोज तो नहीं दे रहे हैं. खेत में नाइट्रोजन,पोटाश, आयरन की स्थिति क्या है इसकी जांच के लिए सभी 38 जिलों में मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित हैं.
इसके अलावा दूर -दराज के इलाकों में मिट्टी की जांच के लिए प्रमंडल स्तर पर एक मोबाइल प्रयोगशाला है. जांच नि:शुल्क होने के बाद भी किसान इसमें रुचि नहीं ले रहे हैं. इस कमी को दूर करने के लिए निगरानी तंत्र को विकसित किया जा रहा है.
मिट्टी के आधार पर खेती से दस फीसदी बढ़ जाता है उत्पादन
राज्य में किस क्षेत्र की मिट्टी कैसी है इसके लिए फर्टिलिटी मैप तैयार किया जा रहा है. यह पूरी तरह से डिजिटल होगा. मिट्टी के रंग के हिसाब से उसका वर्गीकरण करेगा.
आने वाले दिनों में मृदा हेल्थ कार्ड के आधार पर ही किसानों को उर्वरक की बिक्री की जायेगी. मृदा स्वास्थ्य कार्ड आधारित खेती करने से आठ से 10 प्रतिशत उर्वरकों की बचत होगी.
उपज दर में भी लगभग 10 प्रतिशत की वृद्धि होती है. कृषि मंत्री की समीक्षा में यह बात सामने आयी है कि किसान मृदा स्वास्थ्य कार्ड के प्रति रुचि नहीं दिखा रहे हैं. राज्य के प्रत्येक प्रखंड के छह गांव को चयनित कर मृदा स्वास्थ्य जांच कर कार्ड दिया जा रहा है.
वर्ष 2020-21 में राज्य के 6.957 ग्राम में प्रत्यक्षण-सह- प्रशिक्षण के माध्यम से किसानों के बीच मृदा स्वास्थ्य कार्ड के प्रति जागरूकता पैदा करने का अभियान चलाया जा रहा है
Posted by Ashish Jha