जयप्रकाश नाराणय की जयंती पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव को लखनऊ में जेपीएनआईसी जाकर श्रद्धांजलि देने से रोकना काफी सुर्खियों में रहा. इस मुद्दे पर यूपी से लेकर बिहार तक जमकर राजनीति हुई. यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से NDA से गठबंधन तोड़ने की अपील की. इस पर उन्हें बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह का भी समर्थन मिला.
समय आने पर सबको जवाब मिल जाएगा- अखिलेश प्रसाद सिंह
बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने सपा अध्यक्ष को जेपीएनआईसी जाने से रोकने पर कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि अखिलेश यादव जैसे बड़े नेता को जय प्रकाश नाराणय की मूर्ति के पास जाने से रोका जाता है. यह काम देश क संविधान और प्रजातंत्र दोनों का अपमान है. देश की जनता देख रही है कि कौन क्या कर रहा है. समय आने पर सबको जवाब मिल जाएगा.
NDA में जाकर नीतीश कुमार ने गलती की- कांग्रेस
वहीं, अखिलेश यादव के नीतीश कुमार से NDA से अलग होने की अपील पर उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को उधर(एनडीए में) जाना ही नहीं चाहिए था. कायदे से तो वही गलत है. लेकिन जब चले गए तो यह फैसला उनके विवेक पर छोड़ देना चाहिए. कांग्रेस अध्यक्ष का कहना है कि जब महागठबंधन के साथ नीतीश कुमार की सरकार चल रही थी तो छोड़कर बीजेपी के साथ क्यों गए.
हमें नसीहत की जरुरत नहीं- JDU
हालांकि इससे पहले ही जेडीयू का जवाब इस मामले में आ गया। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि जेडीयू जयप्रकाश नारायण के आदर्शों पर चल रही है. सपा को सोचना चाहिए कि जिस कांग्रेस के खिलाफ जेपी लड़े और जिस पार्टी ने उन्हें जेल में डाल दिया उसके साथ कैसे रिश्ता बनाकर रखे हुए हैं. जेपी ने परिवारवाद और वंशवाद के खिलाफ संघर्ष किया.
आज अखिलेश यादव को बताना चाहिए कि जेपी का कौन सा जीवन मूल्य उन्होंने अपने जीवन में अपनाया. समाजवादी पार्टी के अंदर को आंतरिक लोकतंत्र नहीं है. पूरी पार्टी पर एक परिवार का कब्जा है. उसके बाद नीतीश कुमार को नसीहत दे रहे हैं यह बात हजम नहीं हो रही. नीतीश कुमार ही जेपी के प्रमुख सेनानी हैं. उन्होंने जेपी के सभी आदर्शों को अपनाया है. उनकी अगुआई में एनडीए की सरकार चल रही है.
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