बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गुरुवार को दिल्ली से पटना पहुंचे. पटना एयरपोर्ट से नीतीश कुमार सीधे बोधगया के लिए रवाना हो गए. तय कार्यक्रम के तहत मुख्यमंत्री ने बोधगया आए बौद्ध धर्मगुरू दलाई लामा से मुलाकात की. उसके बाद सीएम महाबोधि मंदिर गए और पूजन किए. महाबोधि मंदिर में पूजा करने के बाद सीएम नीतीश कुमार वापस पटना के लिए रवाना हो गए.
सीएम नीतीश कुमार बीते सोमवार को दिल्ली पहुंचे थे. मंगलवार को विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन की बैठक में सीएम ने हिस्सा लिया था. वहीं बैठक में शामिल होने दिल्ली पहुंचे सीएम नीतीश कुमार गुरुवार को वापस पटना लौटे. पटना एयरपोर्ट से सीएम सीधे बोधगया के लिए रवाना हो गए. तय कार्यक्रम के तहत उन्होंने बोधगया में बौद्ध धर्मगुरू दलाई लामा से मुलाकात की. उसके बाद मुख्यमंत्री महाबोधि मंदिर पहुंचे और पूजा करने के बाद पटना के लिए वापस रवाना हो गए.
सीएम के आगमन को लेकर बुधवार को डीएम डॉ त्यागराजन ने तिब्बत मोनास्टरी व महाबोधि मंदिर का जायजा लिया था व सीएम के कार्यक्रम को लेकर संबंधित पदाधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए थे. सीएम के महाबोधि मंदिर में दर्शन के वक्त आम श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक लगी रही. वहीं मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर सुबह से ही सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गयी थी. प्रशासन विशेष अलर्ट मोड पर दिखा. बता दें कि सीएम नीतीश कुमार इससे पहले भी बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा से मुलाकात कर चुके हैं.
बता दें कि बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा इन दिनों बोधगया में हैं. बुधवार को अरुणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू ने उनसे मुलाकात की व उन्हें बुद्ध की मूर्ति भेंट की. जानकारी के मुताबिक, सीएम खंडू ने अरुणाचल प्रदेश स्थिति व बोधगया में उनके प्रदेश के श्रद्धालुओं के लिए नवनिर्मित कल्चरल सेंटर सह स्टेट गेस्ट हाउस के उद्घाटन की जानकारी दी. सीएम ने दलाईलामा से अरुणाचल प्रदेश में दलाई लामा के कार्यक्रम के लिए भी आमंत्रित किया है. तिब्बत बौद्ध मठ में लगभग आधे घंटे तक की मुलाकात में सीएम खांडू ने अन्य विषयों पर भी बात की.
Also Read: बोधगया में जमा हुए 32 देशों के बौद्ध प्रतिनिधि, बोले दलाई लामा- क्रोध और क्लेश पर नियंत्रण से ही शांति संभव
गौरतलब है कि बोधगया स्थित महाबोधि सांस्कृतिक केंद्र में बुधवार से इंटरनेशनल संघ फोरम का तीन दिवसीय सम्मेलन शुरू हुआ है. इसमें थेरोवाद व महायान परंपरा से जुड़े व उनका अभ्यास करने वाले भिक्षु, लामा, भिक्षुणी व श्रद्धालुओं को एक छतरी के नीचे लाने का प्रयास किया जा रहा है. सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में दक्षिण-पूर्व एशिया के 32 देशों के बौद्ध स्कॉलर व संघराजा शामिल हुए. सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा ने कहा कि थेरावाद व महायान दोनों बुद्ध के उपदेशों को ही मानते हैं, पर थोड़ी भिन्नता के कारण इनमें अलग-थलग पड़ने की आशंका बढ़ने लगी है. इसे दूर किया जाना चाहिए और बुद्ध के संदेश के मुताबिक सभी को विश्व कल्याण की दिशा में काम करनी चाहिए. बता दें कि 32 देशों के बौद्ध स्कॉलर व संघराजा ने इस जुटान की सराहना की और बौद्ध धर्म की विभिन्न शाखाओं में व्याप्त मतभेदों को पाटने के प्रयास में इस कार्यक्रम की बड़ी भूमिका बताया.
सम्मेलन में मंच पर विभिन्न देशों के बौद्ध मठों के मठाधीश यानी संघ राजा भी मौजूद थे. उन्होंने भी अपने-अपने संबोधन में इस सम्मेलन की सफलता व विश्व को एक नयी दिशा दिये जाने की ओर इशारा करते हुए कई बातें कहीं. उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयासों से नयी पीढ़ी को बुद्ध के दर्शन के साथ आधुनिकता से भी जोड़ने का काम होगा. उद्घाटन सत्र में मंच पर ताइवान, मंगोलिया, जापान, कोरिया, श्रीलंका, म्यांमार, कंबोडिया, थाइलैंड, रूस सहित अन्य सदस्य देशों के संघराजा मौजूद थे जिन्होंने अपनी राय सबके सामने रखी.