Caste Census पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नीतीश कुमार गदगद, बोले तेजस्वी यादव – केवल प्रचार के लिए थी याचिका
सीएम नीतीश कुमार ने नालंदा में अपने समाधान यात्रा के दौरान जातीय जनणना पर अपनी बात रखी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से वो गदगद हैं. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जातीय जनणना सबके हित में है, सुप्रीम कोर्ट ने भी हमारे हक में फैसला दिया है.
पटना. जाति आधारित गणना को लेकर बिहार में सियासी पारा चढ़ा हुआ है. विपक्षी दल के नेता प्रदेश सरकार पर निशाना साध रहे हैं, तो वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसके फायदे गिनाते नहीं थक रहे हैं. सीएम नीतीश कुमार ने नालंदा में अपने समाधान यात्रा के दौरान जातीय जनणना पर अपनी बात रखी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से वो गदगद हैं. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जातीय जनणना सबके हित में है, सुप्रीम कोर्ट ने भी हमारे हक में फैसला दिया है.
यह बिहार सरकार की जीत है
इधर, बिहार में जाति आधारित जनगणना को लेकर सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश पर उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि याचिका केवल प्रचार के लिए दायर की गयी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब तक सर्वे नहीं होगा, यह कैसे पता चलेगा कि किसे आरक्षण दिया जाना चाहिए. तेजस्वी ने कहा कि यह बिहार सरकार की जीत है. हम इस आदेश का स्वागत करते हैं.
मैं उस व्यक्ति से मिलना भी चाहता था
नालंदा में पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहारशरीफ का ही कोई व्यक्ति इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, मैं उस व्यक्ति से मिलना भी चाहता था. उन्होंने कहा कि नगर निगम चुनाव का मामला भी कोर्ट में चला गया था, लेकिन अभी सब अच्छे से हो गया. नीतीश कुमार ने कहा कि जाति जनगणना तो केंद्र सरकार का काम है. हम तो राज्य में कर रहे हैं. एक-एक चीज की जानकारी होगी, तो विकास के काम को बढ़ाने में सुविधा होगी. सभी पार्टियों की सहमति हो रही है. यह मामला फिर बाद में सुप्रीम कोर्ट चला गया.
जाति आधारित गणना पर सुप्रीम कोर्ट का इनकार
उच्चतम न्यायालय ने बिहार में जाति आधारित गणना कराने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई से शुक्रवार को इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि याचिकाओं में कोई दम नहीं है, लिहाजा इन्हें खारिज किया जाता है. पीठ ने छूट दी कि याचिकाकर्ता संबंधित उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं. याचिकाकर्ता ने मामले को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किए जाने का अनुरोध किया था, जिस पर 11 जनवरी को शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह इस मामले पर सुनवाई 20 जनवरी को करेगी.