नीतीश कुमार ने कर्पूरी ठाकुर के बहाने उठाया परिवारवाद का मुद्दा, बोले- हमने भी परिवार को आगे नहीं बढ़ाया

जदयू की ओर से भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर की सौंवीं जयंती के अवसर पर आयोजित जन्म शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि हमने भी कर्पूरी ठाकुर से सीख कर परिवारवाद की राजनीति नहीं की. आजकल लोग अपने परिवार को राजनीति में आगे बढ़ाते हैं. हमने अपने किसी परिवार को आगे नहीं बढ़ाया है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 24, 2024 6:55 PM

पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को बिना किसी का नाम लिये परिवारवाद पर हमला बोला. वेटनरी कालेज ग्राउंड पर जदयू की ओर से भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर की सौंवीं जयंती के अवसर पर आयोजित जन्म शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि हमने भी कर्पूरी ठाकुर से सीख कर परिवारवाद की राजनीति नहीं की. आजकल लोग अपने परिवार को राजनीति में आगे बढ़ाते हैं. हमने अपने किसी परिवार को आगे नहीं बढ़ाया है.

देश में जातीय जनगणना होनी चाहिये

उन्होंने कहा कि हमलोग 2006-07 से जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की लगातार मांग करते रहे थे, केंद्र सरकार ने इसे मान लिया, यह खुशी की बात है. इसके अलावा भी हमारी मांगों को भी केंद्र सरकार को मान लेना चाहिये. राज्य में हाल में जातीय गणना की चर्चा करते हुये उन्होंने कहा कि देश में जातीय जनगणना होनी चाहिये. साथ ही देश में पिछड़ों के साथ अतिपिछड़ों को भी आरक्षण मिलना चाहिये. कहा कि वेटनरी कालेज के ग्रांउड में कड़ाके की ठंड में भी दो लाख से अधिक लोग जुटे हैं.

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इज्जत करेंगे तभी कुछ मिलेगा

मुख्यमंत्री ने कहा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर के सुपुत्र व राज्यसभा सांसद रामनाथ ठाकुर को बुधवार की सुबह फोन कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी है. उनको पता चल गया है कि मैंने जननायक कर्पूरी ठाकुर के काम को आगे बढ़ाने के लिए इतना काम किया है. ऐसे में उनलोगों को भी लगने लगा है कि इज्जत करेंगे तभी कुछ मिलेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर ने अपने परिवार के लिए कुछ नहीं किया. ऐसे में उनके स्वर्गवासी होने के बाद हमलोगों ने उनके पुत्र रामनाथ ठाकुर को आगे बढ़ाया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के विकास के लिए काम करते रहे हैं आगे भी करते रहेंगे.

पहली बार पिछड़ाें और अतिपिछड़ों को आरक्षण और शराबबंदी

मुख्यमंत्री ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने पहली बार 1978 में पिछड़े को आठ फीसदी और अतिपिछड़ों को 12 फीसदी आरक्षण दिया. आज भी अतिपिछड़ा ज्यादा गरीब हैं, उनकी संख्या ज्यादा है. वहीं जननायक कर्पूरी ठाकुर ने राज्य में पहली बार शराबबंदी लागू की. हालांकि उनको कुछ लोगों ने समय से पहले ही सत्ता से हटा दिया. यह ठीक बात नहीं थी. इसके बाद शराबबंदी भी खत्म हो गई. हालांकि मुख्यमंत्री रहने के दौरान कर्पूरी ठाकुर ने भी शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा काम किया.

कर्पूरी के निधन के बाद से कर रहे काम

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, डॉ राममनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण, डॉ अंबेडकर और कर्पूरी ठाकुर का हमेशा नाम लेते हैं. कर्पूरी ठाकुर को मौका मिला तो उन्होंने गांधी, लोहिया, जेपी और डॉ अंबेडकर के अधूरे काम को किया. अब जननायक कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद से उनके अधूरे काम को हम पिछले 18 साल से कर रहे हैं. 2005-10 से अधिक काम 2010-15 में हुआ.

मैंने बिहार में हर क्षेत्र में काम किया

2010-15 से अधिक काम 2015-20 में हुआ और उसके बाद अब उससे अधिक काम हो रहा है. उन्होंने कहा कि राज्य में स्वास्थ्य, शिक्षा सहित हर क्षेत्र में काम किया. हर घर बिजली पहुंचाई. हर घर नल का जल, हर घर पक्की गली-नाली, शौचालय निर्माण का काम किया. जल-जीवन-हरियाली अभियान का काम कर रहे हैं. पीएचइडी को नगरनिकायों और पंचायतों में पेयजल देने और उसे मेंटेन की जिम्मेदारी दी गई है. जीविका के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. उन्होंने कहा कि खुले में शौच और शुद्ध पेयजल से अनेक बीमारियां दूर हो जाती हैं.

आरक्षण और शराबबंदी उनकी सोच

मुख्यमंत्री ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने पहली बार 1978 में पिछड़े को आठ फीसदी और अतिपिछड़ों को 12 फीसदी आरक्षण दिया. आज भी अतिपिछड़ा ज्यादा गरीब हैं, उनकी संख्या ज्यादा है. वहीं जननायक कर्पूरी ठाकुर ने राज्य में पहली बार शराबबंदी लागू की. हालांकि, उनको कुछ लोगों ने समय से पहले ही सत्ता से हटा दिया. यह ठीक बात नहीं थी. इसके बाद शराबबंदी भी खत्म हो गयी. हालांकि, मुख्यमंत्री रहने के दौरान कर्पूरी ठाकुर ने भी शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा काम किया.

आरक्षण का दायरा बढ़ाया

मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरे देश में हम चाहते थे कि जाति आधारित जनगणना हो. उन्होंने केंद्र सरकार की तरफ इशारा करते हुये कहा कि जब उन्होंने नहीं करवाया तो हमलोगों ने राज्य में जाति आधारित गणना करवाया. इसमें हर परिवार की आर्थिक स्थिति का जायजा लिया. 94 लाख गरीब परिवार चिह्नित हुये. उनमें से प्रत्येक परिवार को दो-दो लाख रुपये रोजगार के लिए दिये जायेंगे. इसी गणना के आधार पर अनुसूचित जाति का आरक्षण 16 फीसदी बढ़ाकर 17.5 फीसदी कर दिया.

बिहार में 75 फीसदी आरक्षण मिल रहा

अनुसूचित जनजाति वर्ग का आरक्षण एक फीसदी से बढ़ाकर दो फीसदी कर दी गई. अत्यंत पिछड़े वर्ग को 18 फीसदी से बढ़ाकर आरक्षण 25 फीसदी कर दिया गया. वहीं पिछड़े वर्ग को 12 फीसदी से बढ़ाकर आरक्षण 18 फीसदी कर दिया गया. ऐसे में आरक्षण का दायरा 50 से बढ़ाकर 65 फीसदी कर दिया गया. साथ ही उच्च वर्ग के गरीबों के लिए 10 फीसदी आरक्षण के साथ मिलाकर राज्य में 75 फीसदी आरक्षण मिल रहा है.

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