पटना. बिहार में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव और बेलगाम अपराध के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शुक्रवार को विधि व्यवस्था की आला स्तर पर समीक्षा कीं. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई इस समीक्षा बैठक में मुख्य सचिव आमिर सुबहानी और डीजीपी एस के सिंघल समेत संबंधित विभाग के सभी आला अधिकारी मौजूद रहे. बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने राज्य में लॉ एंड ऑर्डर के ताजा हालत की जानकारी ली. हालात की जानकारी लेने के बाद मुख्यमंत्री ने डीजीपी समेत अन्य अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिये.
दरअसल, बिहार में इन दिनों लगातार बढ़ रही आपराधिक वारदातों को लेकर सरकार की भारी फजीहत हो रही है. राजधानी पटना समेत राज्य के तमाम जिलों में अपराध की घटनाओं को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर बना हुआ है. हाल के दिनों में हत्या और लूट समेत अपराध की अन्य घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि देखी जा रही है. इधर शुक्रवार को पूरे देश में सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न होने की खबर से नयी परिस्थति में कानून व्यवस्था को बनाये रखने के लिए तत्परता दिखाने के निर्देश दिये गये.
बिहार में विधि व्यवस्था और मद्य निषेध को लेकर सीएम नीतीश कुमार की उच्चस्तरीय बैठक में साफ शब्दों में कहा कि अपराध नियंत्रण में किसी प्रकार की कोताही न हो, लॉ एंड ऑर्डर सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि सभी थानों में लैंडलाइन फोन एक्टिव हों, दोषियों पर कार्रवाई के लिए अनुसंधान कार्य में तेजी लायें. मोबाइल टीम का वरीय अधिकारी लगातार मॉनिटरिंग करें. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि जमीन से संबंधित मामलों के निपटारे के लिए डीएम और एसपी मासिक दरबार लगाये. डीएसपी और एसडीएम 15 दिनों में बैठक करें. सीओ और एसएचओ साप्ताहिक दरबार लगाये.
मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी कानून में संशोधन हुआ है, लेकिन शराब पीने वालों को पकड़ने में कोताही न बरतें. सप्लाई चेन को तोड़ने के लिए त्वरित कार्रवाई करें. गड़बड़ी करनेवालों को चिन्हित कर उन पर कार्रवाई करें. शराब पीने वाला कितना बड़ा आदमी हो, किसी दल का हो, पकड़े जाने पर छोड़ा न जाये, कानून की नजर में सब बराबर है. पुलिस बल की कमी पर मुख्यमंत्री ने विभाग को भरोसा दिलाया कि बिहार में प्रति एक लाख की जनसंख्या पर कम से कम 150 की संख्या में पुलिस बल की तैनाती होगी. टारगेट को पूरा करने के लिए तुरंत काम किया जाये.
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