कुमार आशीष, मधेपुरा. समाज सुधार अभियान के क्रम में रविवार को मधेपुरा के बीएन मंडल स्टेडियम पहुंचे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि सरकार समाज के सभी वर्गों के विकास के लिए कृत संकल्पित है. इस बात की आवश्यकता है कि विकास के साथ ही सामाजिक कुप्रथा को भी जड़ से समाप्त किया जाये.
उन्होंने कहा कि समाज सुधार अभियान का यह 12वां पड़ाव है, इसे अंत नहीं, शुरुआत माना जाये. विकास के साथ समाज सुधार होगा, तो समाज, राज्य और देश सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ेंगे. उन्होंने जीविका दीदियों सहित मौजूद लोगों से अपील करते कहा कि अपने गांव और इलाके में जाकर अभियान की बातों को प्रचारित कर जागरूक करें.
सीएम ने कहा कि शराब, दहेज प्रथा और बाल विवाह का राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी विरोध करते थे. इस कुप्रथा को समाप्त करने में सभी को सहयोग करना चाहिए, लेकिन कुछ काबिल लोग अब भी इन चीजों को हल्के में ले रहे है. उन्हें सचेत करता हूं कि बापू की बात याद नहीं रखोगे, तो खत्म हो जाओगे. हमारी निगरानी लगातार जारी रहेगी. समाज सुधार का अभियान लगातार जारी रहेगा.
सीएम ने कहा कि शराबबंदी का निर्णय प्रदेश के आम लोगों का निर्णय है, इसमें महिलाओं की अहम भूमिका है. उनके कहने पर ही सरकार ने नीति बनायी है. सीएम ने कहा कि जनता को गुमराह करने वाले लोग कितनी भी कोशिश कर ले सरकार अपने निर्णय से पीछे नहीं हटेगी.
इससे पहले सीएम नीतीश कुमार एसएनएपीएम हाइस्कूल के मैदान पर बने हेलीपैड पर उतरे. वहां गार्ड आफ ऑनर लेने के बाद स्टेडियम में लगे स्टॉल और प्रदर्शनी का अवलोकन किया. सीएम ने जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज में जननायक की प्रतिमा का अनावरण भी किया. सीएम ने बाबा सिंहेश्वरनाथ के दरबार में पहुंच कर दर्शन भी किया.
सभा के दौरान मधेपुरा सहित सहरसा और सुपौल की छह जीविका दीदियों ने अपने- अपने अनुभव साझा किया. इस मौके पर जल संसाधन मंत्री सह मधेपुरा के प्रभारी मंत्री संजय कुमार झा, मद्यनिषेध मंत्री सुनील कुमार, मुख्य सचिव आमिर सुबहानी, डीजीपी एसके सिंघल, मत्स्य एवं पशु विभाग के सचिव नर्मदेश्वर लाल, मद्यनिषेध विभाग के अपर सचिव केके पाठक, जीविका के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी बाला मुरूगन डी ने भी संबोधित किया.
सीएम ने कहा कि शराब व शराबियों का समाज के लोगों ने जिस प्रकार विरोध किया, उसका असर यह है कि दूसरे प्रदेश के लोग भी बिहार मॉडल को अपना रहे हैं. अब जरूरत है कि दहेज प्रथा व बाल विवाह का भी समाज का हर तबका विरोध करे. बाल विवाह से बेटियों की प्रगति रुक जाती है. उन्हें पढ़ाई के लिए समय नहीं मिलता है. असमय कई प्रकार की बीमारियों से परेशान हो जाती है.
दहेज प्रथा बेटी के माता पिता के लिए अभिशाप है. सभी शपथ लें कि अपना निकट का संबंधी भी अगर दहेज को बढ़ावा देता है तो उसके आयोजन में शामिल नहीं होंगे. उन्हें सरकार द्वारा बनाये गये कानून के बारे में बताये. उन्होंने कहा कि जो अपने शादी के कार्ड में दहेज मुक्त विवाह लिखे, उसी की शादी में शामिल होने का संकल्प लें.