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आनंद मोहन की रिहाई पर बोले नीतीश कुमार- हंगामा क्यों, क्या सरकारी कर्मी व आम आदमी की हत्या में फर्क होना चाहिए

पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि आनंद मोहन की रिहाई नियम कानून के तहत हुई है. एकदम सही तरीके से हुई है. हंगामा क्यों हो रहा है? आनंद मोहन 15 वर्षों से ज्यादा जेल में रहे.

पटना. पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि आनंद मोहन की रिहाई नियम कानून के तहत हुई है. एकदम सही तरीके से हुई है. हंगामा क्यों हो रहा है? आनंद मोहन 15 वर्षों से ज्यादा जेल में रहे. सभी से राय लेकर निर्णय लिया गया है. बिहार में 2017 से अब तक 22 बार परिहार बोर्ड की बैठक हुई और 698 बंदियों को रिहा किया गया. कारा हस्तक के उस वाक्यांश को खत्म कर दिया गया, जिसमें सरकारी सेवक की हत्या का जिक्र है. इस कानून को खत्म किया गया, तो इसमें क्या दिक्कत है? क्या सरकारी अधिकारी की हत्या और सामान आदमी की हत्या में फर्क होना चाहिए.

सुशील मोदी ने खुद आनंद मोहन की रिहाई की मांग की थी

नीतीश कुमार ने मीडिया से बात करते हुए शुक्रवार को कहा कि इतने लोगों को जेल से छुट्टी मिलती है. एक आदमी की रिहाई पर जो बात की जा रही है, हमको तो बड़ा आश्चर्य लग रहा है. इसमें कौन सी ऐसी बात है, ऐसा तो कुछ भी नहीं है. इस बारे में राज्य के मुख्य सचिव ने कल ही सारी बात पहले ही बता दी है. भाजपा की ओर से हो रहे विरोध के सवाल पर सुशील कुमार मोदी और आनंद मोहन की तस्वीर दिखाते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि सुशील मोदी ने खुद आनंद मोहन की रिहाई की मांग की थी. सभी से राय लेकर निर्णय लिया गया है.

27 लोगों में सिर्फ एक आदमी की ही चर्चा क्यों

नीतीश कुमार ने कहा कि यह पहले भी हुआ है. इस बार भी किया है. 27 लोगों में सिर्फ एक आदमी की ही चर्चा क्यों हो रही है. जब आनंद मोहन की रिहा ई नहीं हुई थी तो कितने लोग बोल रहे थे कि उनकी रिहाई होनी चाहिए, आज हो गया तो वि रोध कर रहे हैं. जो लोग विरोध कर रहे हैं, वह बताएं उनकी डिमांड क्या थी. हर जगह लोगों को छोड़ा जाता है, केंद्र सरकार के द्वारा भी लोगों को छोड़ा जाता है. नियम और प्रावधान के अनुसार लोगों को रिलीज किया जाता है.

‘ये कोई पॉलिटिकल चीज नहीं ‘

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अलग-अलग राज्यों में बंदियों की रिहाई का आंकड़ा भी दि खाया. उन्होंने कहा कि कोई आइएएस ऑफिसर के साथ इस तरह की घटना घटी तो क्या आजीवन रहने के लिए को ई प्रावधान दिया गया है. यह कौन राज्य में है? सीपीआई-एमएल की मांग पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि मांग का कोई मतलब नहीं है. यह किसी पार्टी की मांग नहीं बल्कि प्रावधान और नियम के लोगों को रिलीज किया जाता है. यह कोई पॉलिटिकल चीज नहीं है. वैसे आनंद मोहन की रिहाई को बिहार में नीतीश कुमार के पॉलिटिकल कार्ड के तौर पर देखा जा रहा है.

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