बिहार में जब पिछले साल 2022 में सियासी उलटफेर हुआ तो नीतीश कुमार ने भाजपा से अलग अपनी एक राह पकड़ ली. सूबे में महागठबंधन की सरकार तो बनी ही लेकिन तब ही नीतीश कुमार भाजपा की मुश्किलों को बढ़ाने के लिए आगे निकल लिए. आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने और केंद्र की सत्ता से दूर रखने के लिए जदयू ने उन्हें विपक्षी दलों को एकजुट करने का जिम्मा सौंपा. नीतीश कुमार इस मिशन पर लग गए और इस सिलसिले में उन्होंने कई राज्यों का दौरा भी किया. विपक्षी दलों के नेताओं को इसके लिए राजी करने का प्रयास शुरू किया. नीतीश कुमार का प्रयास अब रंग लाने लगा है. पूरे देश की नजरें अब बिहार और नीतीश कुमार की ओर ही है.
जदयू ने नीतीश कुमार को पिछले साल अधिकृत किया था कि वो विपक्षी दलों को एकसाथ एकमंच पर लाएंगे. इसके लिए नीतीश कुमार दिल्ली समेत अन्य राज्यों के दौरे पर भी लगातार रहे. उन्होंने विपक्षी दलों के शीर्ष नेताओं से मुलाकातें की थीं और अब उनका ये प्रयास रंग लाता दिख रहा है. नीतीश कुमार की पहल पर शुक्रवार 23 जून को विपक्षी दलों की बड़ी बैठक पटना स्थित मुख्यमंत्री आवास में हुई. इस बैठक में 15 प्रमुख विपक्षी दलों के शीर्ष नेता शामिल हुए. जिसमें 6 राज्यों के मुख्यमंत्री समेत कई सियासी दिग्गज शामिल हुए.
पटना में आयोजित विपक्षी दलों की बैठक में अहम बात ये थी कि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के दो बड़े नेता इसमें शामिल हुए. राहुल गांधी व मल्लिकार्जुन खरगे भी बैठक में शरीक हुए. वहीं इस बैठक में जिन दलों के नेता एकसाथ आए, वो अलग-अलग राज्यों में एक दूसरे के चिर प्रतिद्वंदी लंबे समय से रहे हैं. बावजूद इसके बैठक में आगे की रणनीति पर एकमत हो जाना इस बैठक की एक बड़ी सफलता मानी जा सकती है. हालांकि इस बैठक में तय हुआ कि अगले महीने शिमला में एक बैठक होगी जिसपर आगे की रणनीति तैयार होगी.
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बता दें कि विपक्षी दलों की इस पहली बैठक में सभी दलों ने एकस्वर में कहा है कि वो वोटों के बिखराव को रोकने के लिए भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर लड़ेंगे. इसके लिए उन्हें अगर सीटों की कुर्बानी भी कहीं देनी पड़ी तो वो देंगे. इस बैठक में यह तय हो जाना कि सभी दल एकसाथ आगे लड़ेंगे, ये नीतीश कुमार के उस मिशन को मजबूत करता है जिसके लिए वो राज्यों का दौरा करते रहे.
ममता बनर्जी से लेकर शरद पवार व महबूबा मुफ्ती समेत लेफ्ट के भी सियासी दिग्गजों ने इसमें सहमति जता दी है. साझा प्रेस कांफ्रेंस में सभी नेताओं ने बारी-बारी से अपनी बात भी रखी. अब अगली बैठक में किस तरह सीट शेयरिंग, राज्यों में सियासी लड़ाई व अन्य सभी मुद्दों पर आपसी सहमति बनेगी, ये देखना बाकी है. लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा कि नीतीश कुमार अभी तक अपनी रणनीति में सफल रहे हैं.
Published By: Thakur Shaktilochan