पटना. बिहार में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों से वसूली जा रही महंगी फीस का मामला आज विधानसभा में उठा. सदस्यों का कहना था कि प्राइवेट कॉलेजों में मोटी फीस के कारण ही बिहार के छात्र यूक्रेन जैसे देशों में पढ़ने जाते हैं. देनी पड़ती है.
जदयू विधायक डॉ संजीव कुमार समेत अन्य सदस्यों की तरफ से सदन में ध्यानाकर्षण के तहत इस मुद्दे को उठाया गया. इस पर सरकार की तरफ से जवाब भी दिया गया. जदयू विधायक ने कहा कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को होने वाले खर्च का मूल्यांकन कर फीस का निर्धारण किया जाता है.
बहस में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी अपनी बात रखी. नीतीश कुमार ने कहा कि यूक्रेन में इतनी तादाद में भारत के छात्र मेडिकल पढ़ने जा रहे हैं, इस बात की जानकारी अब सामने आयी है. हमें तो आज पता चल रहा है बिहार के छोटे छोटे जिलों से इतने बच्चे यूक्रेन में हैं, लेकिन यह भी सच है कि मेडिकल और इस तरह की पढ़ाई को लेकर जो भी स्ट्रक्चर तय होता है, वह केंद्र सरकार की तरफ से तय किया जाता है.
नीतीश कुमार ने कहा कि यह बात भी सामने आयी है कि यूक्रेन में देश से सस्ती मेडिकल की पढ़ाई होती है. अगर ऐसा है तो केंद्र सरकार को इसे देखना चाहिए. नीतीश कुमार ने कहा कि पहले जो लेफ्ट विचारधारा के लोग होते थे, वहीं पढ़ाई के लिए सोवियत संघ या रूस जाते थे, लेकिन अब इतनी बड़ी तादाद में अगर बिहार से छात्र जा रहे हैं, तो इसे देखना होगा.
सरकार की तरफ से मिले जवाब पर सभी दलों के विधायकों ने असंतोष जताया. सबने कहा कि सरकार को इस मामले में कोई ठोस पहल करनी चाहिए. इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि इस मामले में जो सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जजों की कमेटी बनायी गयी है, उसके सामने राज्य सरकार की तरफ से प्रस्ताव भेजा जाएगा. इस कमेटी को अवगत कराया जाएगा कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की फीस कम की जाए.
जदयू विधायक के डॉ संजीव कुमार समेत अन्य विधायकों ने इस मसले पर अपनी राय रखें इसके बाद बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि यह मामला बेहद गंभीर है, क्योंकि यूक्रेन में बिहार के कई छात्र मेडिकल की पढ़ाई करने गये और वहां फंसे हुए हैं. इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री मंडल पांडे ने सदन में कहा कि इन सभी छात्रों को राज्य सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर स्वदेश लाया जा रहा है.