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बिहार में एनओ-2 ने बढ़ायी और परेशानी, प्रदेश की हवा में मिली खतरनाक गैस, इन शहरों की हवा हुईं खराब

आधिकारिक जानकारी के मुताबिक एनओ-2 की हवा में सहन करने योग्य लिमिट 80 माइक्रो ग्राम पर क्यूबिक मीटर होती है. बिहार के अधिकतर शहरों की हवा में इस लिमिट से ज्यादा यह पायी जा रही है.

Bihar News: अभी तक बिहार की हवा मे धूल और धुएं के बारीक कण (पीएम 2.5 और पीएम 10 ) लोगों के स्वास्थ्य के लिए बड़ा दुश्मन के रूप में जाने जाते रहे है. वर्ष 2021 में बिहार की हवा में एक नयी खतरनाक गैस पहचानी गयी है. इस गैस की पहचान एनओ-2 (नाइट्रोजन डाइ ऑक्साइड ) है. इसने वातावरण दमघोटू बना दिया है. एक अन्य जानकारी के मुताबिक खास बात यह है कि पीएम 2.5 और पीएम 10 की मात्रा उन इलाकों में भी फैल गयी है, जहां की हवा में अभी तक इसकी पहचान हुई तक नहीं है. इस संदर्भ में चिंता की बात ये है कि छोटे-छोटे शहरों की हवा खराब हो रही है.

आधिकारिक जानकारी के मुताबिक एनओ-2 की हवा में सहन करने योग्य लिमिट 80 माइक्रो ग्राम पर क्यूबिक मीटर होती है. बिहार के अधिकतर शहरों की हवा में इस लिमिट से ज्यादा यह पायी जा रही है. उदाहरण के लिए राजगीर में 95, सीवान में 126, आरा में 161, बेतिया में 124, भागलपुर में 133, बिहारशरीफ में 156, बक्सर में 187, अररिया में 107, गया 191, मुजफ्फरपुर 95, पटना 138 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर रविवार की दोपहर दो बजे आंका गया.

यह सामान्य लिमिट से कही ज्यादा है. यह गैस चिमनी, ईट भट्टा, डीजल और कोयले के जलने से पैदा होती है. एनओ-2 के अलावा बिहार की हवा में ओजोन, कार्बन मोनो ऑक्साइड और एसओ-2 की मात्रा भी लगतार बढ़ रही है. पटना में कार्बन मोनो ऑक्साइड 59, पूर्णिया में 58, राजगीर में 58, सीवान में 48, बक्सर में 38 मापी गयी है.

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इस पर नियंत्रण जरूरी

इस पर प्रभावी नियंत्रण नहीं लगा तो इसकी सहन करने योग्य लिमिट की लक्ष्मण रेखा पार करने में समय नहीं लगेगा. इन्ही वजहों से बिहार में हवा का एयर क्वालिटी इंडेक्स खराब बना हुआ है. चिंता की बात ये है कि हवा बड़े शहरों में ही नही, जहां औद्योगिकीकरण और वाहन अधिक है, उन शहरों में हवा खराब है, जो अभी हाल ही में शहरीकरण शुरू हुआ है.

नाइट्रोजन-डाइ ऑक्साइड खतरनाक वायु प्रदूषक

नाइट्रोजन-डाइ ऑक्साइड खतरनाक वायु पदूषण है, जो गाड़ियों के ईंधन उत्पादन, इंडस्ट्री के कामों में ईंधन के जलने से निकलता है. इसका असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ता है. इसके संपर्क में आने से लोग सांस सहित कई और गंभीर बीमारियों से पीड़ित हो सकते है. इससे खून के प्रवाह में दिक्कत हो सकती है.

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