पटना. राज्य सरकार ने विभिन्न जलापूर्ति योजना के तहत घरों तक शुद्ध नल का जल पहुंचाया जा रहा है.योजनाओं के तहत लोगों को नियमित शुद्ध पानी मिलता रहे, इसको लेकर आर्सेनिक, फ्लोराइड, आयरन की नियमित जांच होती है. लेकिन कुछ एक जगहों पर पानी में यूरेनियम मिलने की बात सामने आयी थी. इसके बाद पीएचइडी ने जांच मशीन के लिए टेंडर किया, लेकिन टेंडर में एक भी एजेंसी नहीं आने के बाद इस टेंडर को रद्द कर दिया गया है. विभाग ने दोबारा जांच मशीन के लिए टेंडर किया है.
राज्य के सभी इलाकों में पीने के पानी में अब यूरेनियम की मात्रा की जांच होगी. सरकार के निर्देश पर इसे नियमित तौर पर किया जायेगा. फिलहाल पीएचइडी के पास यूरेनियम जांच के लिए कोई सुविधा नहीं है, लेकिन अभी इसकी जांच सेंट्रल ग्राउंड वाटर लैब में करायी जाती है.
हर घर नल का जल में राज्य सरकार द्वारा बीआइएस 10500 के अनुरूप जलापूर्ति का दावा किया गया है. पीएचइडी की ओर से एक राज्य स्तरीय जल जांच प्रयोगशाला, 38 जिला स्तरीय जल जांच प्रयोगशाला व 76 अवर प्रमंडलीय जल जांच प्रयोगशाला स्थापित की गयी है. इन प्रयोगशालाओं में 16 पारा मीटर पर जांच की सुविधा मौजूद है.
विभाग आर्सेनिक व फ्लोराइड प्रभावित क्षेत्रों में प्रतिमाह जल नमूने की जांच करता है. आयरन प्रभावित क्षेत्र में प्रति तिमाही जांच होती है और गैर गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्र में छह माह में न्यूनतम एक बार जांच की जाती है. बिहार में कुल 113891 वार्ड हैं. इनमें 30272 वार्ड गुणवत्ता प्रभावित हैं.
राज्य में जांच के दौरान जहां भी पानी में यूरेनियम की मात्रा मानक से अधिक रहेगी. उसके बाद उस जल स्रोत को पूरी तरह से बंद कर दिया जायेगा. इसके लिए अधिकारियों को पूरी तरह से तैयार रहने का निर्देश दिया गया है. वहीं, फील्ड अधिकारियों को इस संबंध में ट्रेंड भी किया गया है, ताकि इस काम को पूरा करने में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हैं.