अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का लाभ लेने में पटना के लोगों की रुचि नहीं, इस साल आये महज 60 आवेदन
Antarjatiya Vivah Protsahan Yojana: पटना जिले में मुख्यमंत्री अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का लाभ लेने के लिए चालू वित्तीय वर्ष में अब तक करीब 60 आवेदन इस योजना के लिए आये हैं. इनमें से 30 आवेदकों को इसका लाभ मिल चुका है.
पटना. पटना जिले में मुख्यमंत्री अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना का लाभ लेने के लिए चालू वित्तीय वर्ष में अब तक करीब 60 आवेदन इस योजना के लिए आये हैं. इनमें से 30 आवेदकों को इसका लाभ मिल चुका है. वहीं, शेष आवेदन जांच के लिए संबंधित बीडीओ के पास भेजे गये हैं या कागजी प्रक्रिया में हैं. इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में अधिक आवेदन आ रहे हैं. इसके बावजूद ये उम्मीद से कम हैं. वर्ष 2021-22 में सिर्फ 74 दंपतियों को इस योजना का लाभ मिला. इस योजना के तहत आने वाले आवेदनों का निष्पादन तीन माह के अंदर करना होता है.
शादी के दो वर्ष के अंदर देना है योजना के लिए आवदेन
इस योजना का लाभ लेने के लिए जरूरी है कि वर-वधू ने अपनी जाति से बाहर जाकर शादी की हो. अगर शादी अपनी ही उपजाति में की है, तो इसका लाभ नहीं मिलता है. पुनर्विवाह के केस में भी लाभ नहीं दिया जाता है. इस योजना का लाभ लेने के लिए जरूरी है कि शादी के दो वर्ष के अंदर ही आवेदन देना है. आवेदन जिला सामाजिक सुरक्षा कोषांग के सहायक निदेशक के पास जमा होगा.
क्या है योजना
अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन को डॉक्टर अंबेडकर स्कीम फॉर सोशल इंटीग्रेशन थ्रू इंटर कास्ट मैरिज भी कहते हैं. इसके माध्यम से उस वैवाहिक जोड़ी को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है जिन्होंने अंतरजातीय विवाह किया है. यह आर्थिक सहायता 2.5 लाख रुपए की होती है. इस योजना के तहत आर्थिक सहायता प्राप्त करने के लिए लाभार्थी को एक प्री स्टांपेड रिसिप्ट, 10 रुपये के नॉन जुडिशल स्टांप पेपर पर जमा करनी होगी. इसके बाद उनको 1.5 लाख रुपए उनके बैंक अकाउंट में आरटीजीएस या एनईएफटी से भेज दिए जाएंगे. शेष 1 लाख की राशि का फिक्स्ड डिपॉजिट 3 वर्षों के लिए किया जाता है. 3 वर्ष के बाद फिक्स डिपाजिट की राशि एवं उस पर अर्जित ब्याज विवाहित जोड़े को प्रदान कर दिया जाएगा.
माननी होती है ये शर्त
जिला एवं राज्य सरकार द्वारा भी अंतर्जातीय विवाह प्रोत्साहित किए जाते हैं. इस योजना का लाभ केवल बिहार के स्थायी निवासी उठा सकते हैं. साथ ही पति या पत्नी में से कोई एक अनुसूचित जाति से होना चाहिए और दूसरा गैर अनुसूचित जाति से होना चाहिए. विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के अंतर्गत रजिस्टर्ड होना चाहिए. विवाहित जोड़े द्वारा शादी होने का एक एफिडेविट भी जमा करना आवश्यक है.
जमा करना होता है सर्टिफिकेट
अगर विवाह हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के अलावा किसी और एक्ट के अंतर्गत रजिस्टर्ड हैं, तो विवाहित जोड़े को एक अलग से सर्टिफिकेट जमा करना होगा. इस योजना का लाभ केवल पहली शादी के लिए ही उठाया जा सकता है. इस योजना का लाभ उठाने के लिए विवाह के 1 साल के अंदर अंदर आवेदन करना अनिवार्य है. इसके लिए जिन महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जरूरत होती है वो हैं- आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, आयु प्रमाण पत्र, मैरिज सर्टिफिकेट, शादी की फोटो, शादी का कार्ड, राशन कार्ड, पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ, मोबाइल नंबर.