भागलपुर में गंगा किनारे डॉल्फिन करती हैं अठखेलियां, सड़क किनारे खड़े होकर शहरवासी ले रहे आनंद…

भागलपुर : डॉल्फिन की अठखेलियों को देखने के लिए अब भागलपुरवासियों को गंगा में नौका की सवारी करने की जरूरत नहीं है. दीपनगर से माणिक सरकार जानेवाली सड़क पर खड़ा होकर ही लोग डॉल्फिन देखने का आनंद ले रहे हैं. इस सड़क पर लोगों की भीड़ भी दिखती है.

By Prabhat Khabar News Desk | August 31, 2020 6:24 AM
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भागलपुर : डॉल्फिन की अठखेलियों को देखने के लिए अब भागलपुरवासियों को गंगा में नौका की सवारी करने की जरूरत नहीं है. दीपनगर से माणिक सरकार जानेवाली सड़क पर खड़ा होकर ही लोग डॉल्फिन देखने का आनंद ले रहे हैं. इस सड़क पर लोगों की भीड़ भी दिखती है. उल्लेखनीय हो कि डॉल्फिन भारत की राष्ट्रीय जलीय जीव है. सुलतानगंज से कहलगांव तक 60 किलोमीटर विक्रमशिला गंगा डॉल्फिन अभयारण्य घोषित है. जानकारी के अनुसार इस क्षेत्र में वर्तमान में 250 डॉल्फिन हैं.

बीस से अधिक डॉल्फिन दिखती हैं यहां

जानकारी के अनुसार भागलपुर दीपनगर से माणिक सरकार तक वर्तमान में एक सड़क बनी है. इस सड़क से सटे गंगा की पुरानी धारा है. अभी यह लबालब है. गंगा का जलस्तर बढ़ जाने के बाद यहां तीन धारा आपस में मिल जाती है. यही कारण है कि यहां लगभग 20 की संख्या में डाल्फिन हमेशा दिख जाती है. पहले लोग डॉल्फिन की अठखेलियों को देखने के लिए बीच गंगा में नाव से जाते थे. यहां जाने के बाद ही तस्वीर भी ले पाते हैं. अब इस सड़क पर शहरवासी दिन भर परिवार बच्चों के साथ डॉल्फिन देखने आ रहे हैं. लोग यहां दिन के किसी भी पहर डॉल्फिनों की अठखेलिया आसानी से देख सकते हैं. जहां डॉल्फिनों की एक तस्वीर लेने के लिये विशेषज्ञों को भी दिन भर नौका का सफर करना पड़ता था, यहां लोग मोबाइल से भी अच्छी तस्वीर आसानी से ले पा रहे हैं.

डॉल्फिन हैं स्तनधारी जीव, नहीं होती आंखें

विशेषज्ञों के अनुसार समुद्र की डॉल्फिनों के विपरीत गंगा की डॉल्फिनों की आँखें नहीं होती. इसे अंधी डॉल्फिन भी कहते हैं. ये ध्वनि तरंगों से आहार, रास्ता तलाशती है. ये पानी में रहती जरूर हैं, पर ये स्तनधारी जीव है. ये अपने बच्चों को स्तनपान कराती हैं व बच्चों को जन्म देती है.

तेज धारा के कारण आ रही डॉल्फिन

भारतीय वन्यजीव संस्थान के गंगा प्रहरी स्पियरहैड दीपक कुमार ने बताया कि 20 के करीब डॉल्फिन के यहां एकत्रित होने का मुख्य कारण है कि यहां नदी की तीन धारा आपस में मिल रही है. इन स्थानों पर मुख्य धारा के बनिस्पत छोटी मछलियां बहुतायत में पाई जाती है और छोटी मछलियां इन डॉल्फिनों की मुख़्य आहार है. साथ ही मुख्य धार में पानी का बेग भी काफी तेज है. जिससे माँ डॉल्फिन अपने बच्चों की सुरक्षा के लिये इन धारों में आ जाती हैं.

posted by ashish jha

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